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हरीश रावत सत्ता में लौटे,  भाजपा मायूस

देहरादून। मोदी सरकार के मुंह पर JNU प्रकरण के बाद यह दूसरा बड़ा तमाचा है। उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार फ्लोर टेस्ट में पास हो गई और इस पर सुप्रीमकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी। अंततः केंद्र सरकार को उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाना पड़ा। दस विधायकों के बागी हो जाने के बावजूद कांग्रेस को सदन में बसपा, यूकेडी, निर्दलीयों और एक भाजपा से निष्कासित सदस्य भीम लाल के सहयोग से 33 मत प्राप्त हुए। बहुतमत के लिए 31 विधायकों की जरूरत थी। भाजपा के पक्ष में 28 मत पड़े।

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बुधवार को शक्ति परीक्षण का परिणाम सीलबंद लिफाफे में सुप्रीमकोर्ट को सौंपा गया। केंद्र सरकार ने लिफाफा खुलने से पहले ही अदालत से कह दिया कि वह उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाना चाहती है। सरकार को इसकी अनुमति मिल गई। उसके बाद कोर्ट ने हरीश रावत सरकार की सदन में जीत का फैसला भी सुना दिया। भाजपा के खेमे में इसे लेकर काफी मायूसी देखने में आ रही है।

उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ विधायक पहले ही बागी हो गए थे और दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। कांग्रेस की एक विधायक रेखा आर्य ने फ्लोर टेस्ट से ठीक पूर्व भाजपा खेमे में शामिल होकर बगावत की घोषणा की। चर्चा थी कि सदन में रेखा आर्य सहित कांग्रेस के तीन विधायक अपनी सरकार के खिलाफ वोट डालेंगे। लेकिन वास्तव में रेखा आर्य के अतिरिक्त और कोई बागी नहीं हुआ। भाजपा के निष्कासित विधायक भीम लाल ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर रेख आर्य की कमी को पूरा कर दिया।   

हरीश रावत सरकार की इस जीत के साथ कांग्रेस के बागी दस विधायक घर के रहे न घाट के। इन्हें राज्य में भाजपा की सरकार बनने से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। राज्य में कुछ ही माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें कांग्रेस को अब इन बागियों से छुटकारा पाना आसान हो जाएगा और भाजपा को इन्हें अपने साथ एडजस्ट करना मुश्किल होगा। कांग्रेस के लोग बागियों पर बिके हुओं का ठप्पा लगा रहे हैं।     

उल्लेखनीय है कि गत 18 मार्च को कांग्रेस के विधायकों के बागी होने के बाद राज्यपाल ने भी हरीश रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन केन्द्र सरकार ने उससे एक दिन पहले ही उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। उच्च-न्यायालय की दो जजों की पीठ ने राष्ट्रपति शासन को हटा कर फ्लोर टेस्ट का निर्णय दिया था। लेकिन उस निर्णय पर उच्चतम न्यायाल ने रोक लगा दी थी। अन्त में उच्चतम न्यायालय ने भी फ्लोर टेस्ट का ही निर्णय दिया।

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अब भी एक दूसरे पर विधायकों की खरीद- फरोख्त के आरोप लगा रहे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एक न्यूज चैनल को दिए बयान में भाजपा पर कांग्रेस सरकार को तोड़ने के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च करने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा के सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यिरी का आरोप है कि कांग्रेस ने अपने बागियों को धनबल से शांत किया है, अन्यथा सरकार गिर जाती। इस मामले में हरीश रावत का एक कथित स्टिंग भी सामने आया है, जिसकी सीबीआई जांच कर रही है।         

एचएनपी सर्विस

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