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हिमाचल प्रदेश

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीदने का वादा किया था। लेकिन आज हकीकत यह है कि दुग्ध उत्पादकों से जो 22 से 30 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध खरीदा जा रहा है उसका भी भुगतान समय पर नहीं हो रहा। हर साल बजट में दूध के खरीद मूल्य में दो- तीन रुपये की बढ़ोतरी होती थी, लेकिन सुक्खू सरकार ने इस बजट में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं की। दुग्ध उत्पादक स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।  

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दुग्ध उत्पादकों ने यह दुखड़ा वीरवार को हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ के किसान मजदूर भवन चाटी में आयोजित अधिवेशन में खुल कर बयां किया। अधिवेशन में निरमण्ड, रामपुर, आनी, करसोग, नारकण्डा, ननखड़ी व भावानगर ब्लॉक के दुग्ध उत्पादकों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने दुग्ध उत्पादकों की समस्याओं एवं उनकी मांगों पर विस्तार से चर्चा की।

अधिवेशन को हिमाचल किसान सभा के पूर्व महासचिव,डॉ ओंकार शाद, हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ के संयोजक देवकी नंद, संयोजक दिनेश मेहता व किसान सभा जिला महासचिव पूरन ठाकुर ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण दूध पैदा करने वाले किसान बहुत दुखी हैं। उनका शोषण हो रहा है। प्रदेश में किसी भी सरकार ने आजतक कोई स्थायी नीति दूध वालों के लिये नहीं बनाई। जिस कारण कृषि की तरह दूध उत्पादन भी घाटे का सौदा बन रहा है।

उन्होंने कहा कि आज भी सरकार द्वारा मिल्क फेडरेशन व निजी कंपनियों द्वारा किसानों से 22 रुपये से लेकर 30 रुपये तक प्रति लीटर दूध लिया जा रहा है। फीड, दवाई, चोकर व चारें के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। दूध की उत्पादन लागत दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। जिस कारण कि दुग्ध उत्पादकों को अपना परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है।

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उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादकों को दूध की पेमेंट भी समय पर नहीं मिल रही है। पेमेंट का कोई निश्चित समय ना होने के कारण पेमेंट का भुगतान 20 तारीख के बाद ही होता है, जिससे इन पर दोहरी मार पढ़ रही है।

वक्ताओं ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने जनता से वायदा किया था कि सत्ता में आने पर सरकार 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीदेगी। लेकिन यह सब जुमला ही साबित हुआ। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने तो बजट में दूध के दामों में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं की है, जबकि हर साल बजट में दो- तीन रुपये की बढ़ोतरी होती थी। इससे साफ जाहिर होता है कि यह सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है।

उन्होंने आरोल लगाया कि जो पशु औषधालय ग्रामीण क्षेत्र में खोले गए हैं, वहां अधिकांश में डॉक्टर के पद खाली पड़े हैं। कई पशु औषधालयों में ताले लटके हुए हैं। समय पर टीका नहीं लगने से गायें खराब हो रही हैं।

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हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ ने प्रस्ताव पारित कर प्रदेश सरकार से मांग की है कि दूध का दाम कम से कम 40 रुपया प्रति लीटर तय किया जाए, दूध की पेमेंट हर माह 10 तारीख से पहले दी जाए,सभी सोसायटियों में दूध की गुणवत्ता को मापने के लिये टेस्टिंग मशीने लगाई जाएं, पशु औषधलयों में सभी खाली पद भरे जायें, पशु आहार पर सब्सिडी दी जाए, दूध को इकट्ठा करने के लिये नए चिल्लिंग प्लांट खोले जायें।

बैठक में तय किया गया कि 17 जुलाई को इन मांगों को लेकर दत्तनगर में मिल्क फेडरेशन के बाहर 24 घंटे का क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा, जिसकी तैयारी को लेकर ब्लॉक व गांव स्तर पर बैठकें की जाएंगी।

बैठक में कश्मीरी लाल, हरविंदर, गीता राम, कमला देवी, विजय, हीरा नंद, जनता देवू, जोगिंदर, सुरता देवी, चाँद देवी, निलमा देवी, प्रेम चौहान, केशव राम, काकू कश्यप, कुमत राम, मोहन सिंह, सुनील, ख्याली राम आदि शामिल थे।

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एचएनपी सर्विस

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