पीड़ित छात्रों का कहना है कि सभी विषयों में पास होने के बावजूद इस ग्रेडिंग सिस्टम की वजह से उन्हें लोअर ग्रेड मिलते हैं और फिर उन्हें संस्थान छोड़ने के लिए कह दिया जाता है। संस्थान से बाहर निकाले गए छात्रों ने एचआरडी मंत्रालय और पीएमओ को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाई है।
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देहरादून। आईआईटी रुड़की में कम ग्रेड लाने वाले छात्रों को बाहर करने की प्रक्रिया पर विवाद गहरा गया है और मामला पीएमओ तक पहुंच गया। संस्थान ने सैकंड सेमेस्टर में कम ग्रेड लाने पर 18 छात्रों को बाहर निकाल दिया है। निकाले गए छात्रों में अधिकांशतः एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी से हैं, जिन्हें एंट्रेस टेस्ट एग्जाम में लोअर कट ऑफ के साथ प्रवेश मिला है।
आईआईटी रुड़की ने पिछले साल भी इसी प्रकार 72 छात्रों को कम ग्रेड लाने पर घर भेज दिया था। इनमें से अधिकांश को बाद में वापस ले लिया गया था। आरोप है कि आरक्षित कोटे में दाखिला लेने वाले इन छात्रों को संस्थान में ज्यादा नंबर लाने वाले जनरल कैटेगरी के छात्रों के साथ मुकाबला कराकर बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आईआईटी रुड़की में छात्रों को कम से कम सीजीपीए ग्रेड- 5 लाना जरूरी किया गया है। पीड़ित छात्रों का कहना है कि सभी विषयों में पास होने के बावजूद इस ग्रेडिंग सिस्टम की वजह से उन्हें लोअर ग्रेड मिलते हैं और फिर उन्हें संस्थान छोड़ने के लिए कह दिया जाता है। संस्थान से बाहर निकाले गए छात्रों ने एचआरडी मंत्रालय और पीएमओ को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाई है।
संस्थान के नोडल अधिकारी प्रदीप कुमार ने पूछने पर बताया कि संस्थान को इस संबंध में पीएमओ की तरफ से भेजा गया पत्र मिल गया है। इस पर अब डीन ही कोई निर्णय लेंगे। पता चला है कि आईआईटी रुड़की की सीनेट भी छात्रों को निष्कासित करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए राजी हो गई है।
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