हिमाचल प्रदेश में हाल ही में दो बड़ी दुखद घटनाएं हुईं। एक कोटखाई में नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप और फिर उसकी हत्या तथा दूसरी घटना चंबा जिला के तीसा में एक अध्यापक द्वारा मुस्लिम छात्रा के साथ दुष्कर्म। लेकिन दोनों ही घटनाओं में आरएसएस- भाजपा की भेदभावपूर्ण प्रतिक्रिया ने इनकी संकुचित एवं निकृष्ट विचारधारा की पोल खोलकर रख दी।
कोटखाई प्रकरण में संघी- भाजपाई दिवंगत छात्रा को न्याय दिलाने के लिए आक्रोश प्रदर्शित कर रहे थे, जबकि तीसा में पीड़ित छात्रा को न्याय दिलाने के बजाए उन अध्यापकों, जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से इस घिनौने कांड के लिए जिम्मेदार हैं, के पक्ष में दंगा फसाद कर रहे हैं। इसमें सोमवार को मुस्लिम समुदाय की अनेक दुकानों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस पर भी पथराव हुआ, जिसमें एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
यक्ष प्रश्न यही है कि संघ- भाजपा की नजर में मुस्लिम घरों में पैदा हुई बेटियां क्या बेटियां नहीं होतीं? क्या ‘गुजरात मॉडल’ अपनाए बिना इनकी राजनीति आगे नहीं बढ़ पाती? हिंदू और मुस्लिम बेटियों के प्रति इनकी यह पक्षपातपूर्ण सोच ही इन्हें समाज के लिए घातक सिद्ध करती है।
चंबा जिला के चुराह विधानसभा क्षेत्र में संघ- भाजपा ने साम्प्रदायिक दंगे भड़काने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोगों को बुलाकर उन्हें मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काया जा रहा है और पीड़िता को न्याय दिलाने की राह में रोड़ा अटकाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों वहां मॉडल स्कूल खुशनगरी में एक अध्यापक ने मुस्लिम छात्रा के साथ दुष्कर्म किया, लेकिन आरएसएस के लोगों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई। बच्चों के अभिभावकों, जिसमें 60 प्रतिशत तक हिंदू समुदाय के लोग भी शामिल थे, ने रोष प्रदर्शन किया। इसी दौरान एक अध्यापिका की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर प्रदर्शनकारी भड़क गए और उन्होंने अध्यापकों के साथ मारपीट की।
बस यही होना बाकी था कि सारे संघी- भाजपाई दनदनाते हुए निकल आए और मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए धरना प्रदर्शन और तोड़फोड़ शुरू कर दी। अब तो पीड़ित बेटी के लिए न्याय की मांग करने वालों को ही गुनाहगार बना दिया गया है।
मुझे याद है कि कुछ वर्ष पूर्व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तीसा में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जिसमें क्रुद्ध जनता ने दोषी अध्यापक के साथ अन्य अध्यापकों को भी पीट दिया था। उस समय हर समुदय के लोगों ने मिलकर पीड़ित छात्रा का साथ दिया था। लेकिन आज वहां संघ की संकीर्ण विचारधारा अपनी जड़ें फैलाने की फिराक में है, जिसके परिणाम स्वरूप दुष्कर्म की शिकार छात्रा और उसके अभिभावकों को ही कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है।
अभी कुछ दिन पूर्व कोटखाई में हुए रेप एंड मर्डर मामले में सबने देखा होगा कि वहां हर समुदाय के लोग मिलकर दोषियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी तरह तीसा में भी सभी समुदाय के लोगों से अपील है कि पीड़ित छात्रा के नाम पर राजनीति न करें बल्कि बेटी को न्याय दिलाने के लिए एकजुट होकर आगे आएं। आम जनमानस में व्याप्त आपसी सौहार्द को तोड़ने वाली ताकतें समाज को गहरे जख्मों से सिवा और कुछ नहीं दे सकती हैं।