धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर निगम और कांग्रेस विधायक अशीष बुटेल के निमन्त्रण पर मैंने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा का अनावरण किया। बहुत प्रतिक्रिया हुई। कुछ लोगों ने प्रशंसा की, परन्तु कुछ मित्र नाराज हो गये। एक अखबार ने लिखा कि भाजपा की नीति से हट कर मैंने ऐसा किया। सोशल मीडिया पर चर्चा हुई। एक वीडियो में तो यहां तक कहा गया कि, शांता कुमार को अब कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए। इन सब प्रतिक्रियाओं से मुझे हैरानी भी हुई और दुख भी।
उन्होंने कहा मैं 1952 से भारतीय जन संघ, फिर जनता पार्टी और अब भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हुआ हूं। मैंने जो कुछ भी किया, वह पार्टी के सिद्धान्तों के अनुसार ही किया। भाजपा ने जब समाजवाद को अपनाया तो उसे गांधीवादी समाजवाद कहा। आलोचना हुई तो पार्टी ने कहा कि महात्मा गांधी देश के महान नेता थे। भाजपा उनका भी और उनके विचारों का भी सम्मान करती है।
शांता कुमार ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो पहले ही दिन कार्यालय को जाने लगे तो रास्ते के बरामदे में पण्डित नेहरू का एक चित्र लगा था। वे कई बार उसे देख चुके थे, परन्तु उनके प्रधानमंत्री बनने पर उस चित्र को हटा दिया गया था। अटल जी कार्यालय में गये और चित्र उतारने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई हुई और उसी समय उस चित्र को उसी स्थान पर लगाया गया।
उन्होंने कहा कि नरसिम्हा राव कांग्रेस के प्रधानमंत्री थे। पाकिस्तान से कश्मीर समस्या पर भयंकर संघर्ष चल रहा था। उसी सम्बंध में संयुक्त राष्ट्र संघ में महत्वपूर्ण चर्चा होनी थी। उसके लिए जो संसदीय शिष्ट मण्डल भेजा गया, उसके अध्यक्ष कोई कांग्रेस का नेता नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया गया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में पूरे भारत का पक्ष रखा। वापसी पर उनसे पूछ गया तो उन्होंने कहा,‘कश्मीर समस्या पर बहुत से मतभेद हैं, परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ में मतभेदों से ऊपर उठ कर मैंने भारत का पक्ष रखा है।’
शांता कुमार ने कहा 1962 के चीनी आक्रमण के बाद पण्डित नेहरू ने 26 जनवरी के कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं संवक संघ को आमंत्रित किया था। भाजपा सभी राष्ट्रीय नेताओं के प्रति सम्मान का भाव रखती है। नीतियों में मतभेद होने के कारण सम्मान में कमी नहीं होनी चाहिए। पण्डित नेहरू की बहुत सी नीतियों के साथ मेरा मतभेद रहा है। आज भी है। परन्तु भारत की आजादी के लिए बलिदान देने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मान है।
उन्होंने कहा नेहरू जी 1942 में पालमपुर आये थे। उसी याद में पालमपुर चौक में उनकी प्रतिमा लगी थी वह खराब हो गई थी। मैंने उसे देखा तो मैं बहुत आहत हुआ। मैंने एसडीएम पालमपुर को पत्र लिखा और एक लाख रुपये का चैक भेजकर कहा कि देश के उस महान नेता की खण्डित प्रतिमा को शीघ्र बदला जाए। मतभेद होने का मतलब यह नहीं होता कि किसी महापुरुष की प्रतिमा का सम्मान न किया जाए।
शांता कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी मैं केन्द्र की कांग्रेस सरकार के सभी नेताओं का सम्मान करता था। यही कारण था कि 1990 में कांग्रेस के प्रधानमंत्री नरसिम्हा रॉव से मैं भाजपा का मुख्यमंत्री होते हुए भी हिमाचल प्रदेश के लिए पन बिजली योजनाओं के लिए रॉल्यटी का सिद्धान्त मनवाने का ऐतिहासिक निर्णय करवा सका। इस निर्णय के कारण आज करोड़ों रु0 प्रतिवर्ष हिमाचल प्रदेश को मिलते हैं। उन्होंने कहा राजनीति के अवमूल्यन का ही कारण है कि नेहरू जी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मेरी अलोचना की जा रही है।