Advertising

साहित्यकारों के अपमान पर उतर आया प्रशासन!

Advertisement
दिवंगत लेखक सरोज वशिष्ठ का निधन से ठीक एक दिन पूर्व आकाशवाणी शिमला में रिकार्डिंग के दौरान लिया गया एक यादगार चित्र।

शिमला। प्रदेश के साहित्यकारों ने शायद इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। हुआ यूं कि राजधानी में विख्यात लेखिका एवं समाजसेवी सरोज वशिष्ठ के निधन पर स्थानीय साहित्यकार एक शोक सभा करना चाहते थे। उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग से मात्र एक घंटे के लिए निशुल्क सभागार की मांग की, लेकिन विभाग ने दो टूक कह दिया, “पैसा दो, मुफ्त में सभागार नहीं दिया जा सकता।” बात गहरे चोट कर गई। एक विभाग, जो बनाया ही साहित्य एवं संस्कृति कर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिए है, वह मामूली बात के लिए भी साहित्यकारों के अपमान पर उतर आया!

विख्यात लेखक एवं हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने तुरंत घोषणा कर दी कि वे भविष्य में राज्य भाषा एवं संस्कृति विभाग के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी अजय श्रीवास्तव ने टिप्पणी की, “शर्म उनको मगर आती नहीं! ये बेशर्म बाबू क्या जानें साहित्य और समाज को जीवन समर्पित कर देने वाली शख्सीयत का महत्त्व। किसी नेता के कुत्ते की मौत पर शोक सभा के लिए यही नौकरशाही दुम हिलाते हुए शामियाना रिज़ पर भी लगवा देगी। लानत है।”

मीडिया ने भाषा एवं संस्कृति विभाग के विशेष सचिव डा. सुनील चौधरी से इस संबंध में पूछा तो उनका कहना था कि, शोक सभा के लिए मुफ्त में गेयटी का एक सभागार देने का प्रस्ताव लेखक एसआर हरनोट से मिला था। मगर नियमानुसार इसे निशुल्क नहीं दिया जा सकता। ऐसा किया गया तो हरकोई यहां मुफ्त में ही सभागार मांगने लगेगा।

प्रशासन के इस रूखे व्यवहार पर साहित्यकार बिरादरी आंदोलित हो उठी है। सोशल मीडिया में सरकार व प्रशासन के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की जा रही हैं। डा. हेमराज कौशिक ने कहा, सरोज वशिष्ठ जी का साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने प्रशंसनीय भूमिका निभाई है। उन्हें हरकोई कहना प्रशासन के अहंकार का परिचायक है। यह नकारात्मक सोच और संवेदनशून्यता का परिणाम है।

लेखक केवल राम ने कहा, यह तो दुखद है। संभवतः ऐसे पदों पर बैठे लोग साहित्य, समाज और संस्कृति से अपने को ऊंचा मानते हैं। राजुर्कर राज ने टिप्पणी की, अब क्या लेखक की मौत से भी पैसा कमाना ज़रूरी है? भाषा एवं संस्कृति विभाग का क्या बिगड़ता यदि शोक सभा के लिए सभागार दे दिया जाता, जबकि कोई बुकिंग भी निरस्त नहीं करनी थी।

लेखक एवं रंगकर्मी हेमानंद शर्मा ने कहा, सरोज वशिष्ठ कोई मामूली साहित्यकार नहीं थीं। उनका समाज के लिए योगदान आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। यह अधिकारी वर्ग जब तक गेयटी जैसे संस्थानों पर कब्जा किए रहेगा, आम आदमी हमेशा ही अपने अधिकारों से वंचित रहेगा। जिन लोगों ने ऐसे कार्यक्रम में बाधा डाली है, मैं उनकी कड़ी भर्त्सना करता हूं।

लेखिका प्रियंवदा शर्मा का कहना था, यह बहुत शर्मनाक है। जो विभाग बना ही साहित्य और संस्कृति के संवर्धन के लिए है, वह एक साहित्यकार की शोक सभा के लिए भी स्थान तक उपलब्ध नहीं कराए तो फिर उसका और औचित्य ही क्या है? ”

साहित्यकार श्याम सिंह रावत ने टिप्पणी की कि, किसी दिवंगत वरिष्‍ठ लेखक एवं समाज सेवी को श्रद्धासुमन अर्पित करने का आयोजन तो स्वयं भाषा एवं संस्‍कृति विभाग को करना चाहिये था, परन्तु अफ़सोस यहां तो उल्टी गंगा बहा दी गई। यह साहित्यकारों के प्रति सरकार के असंवेदनशील रवैये का परिचायक है।

प्रशासन से लेखकों की नाराजगी इसलिए भी है कि वे गेयटी का सभागार साहित्‍यिक आयोजनों के लिए नि:शुल्‍क उपलब्ध कराने आदि की मांगें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मनवा भी चुके हैं। उन्होंने कई बार इसकी घोषणा भी की, लेकिन अधिकारीगण ही इसमें रोड़ा बने हुए हैं। संबंधित फाइलें सचिवालय और भाषा विभाग के मध्‍य घूमती रहती हैं, लेकिन उनका निपटारा नहीं किया जा रहा। हरनोट कहते हैं, ये अधिकारी मुख्यमंत्री की घोषणाओं की भी परवाह नहीं कर रहे और साहित्यकारों को हरकोई की श्रेणी में धकेले हुए हैं, जबकि गेयटी अनेक बार सरकारी और निजी संस्‍थाओं को नि:शुल्‍क दिया जाता रहा है।

एसआर हरनोट ने बताया कि अनेक साहित्यकारों ने यह सुझाव भी दिया है यदि सरकार साहित्यकारों की कोई परवाह नहीं कर रही तो क्यों ना अपने स्तर पर ही कोई ऐसी व्यवस्था की जाए कि साहित्यकारों का सम्मान भी बरकरार रहे और सहयोग के लिए किसी का मोहताज भी ना रहना पड़े। उन्होंने कहा कि लेखकों के सुझाव पर एक साहित्‍य निधि कोशस्‍थापित करने की योजना बनाई जा रही है ताकि साहित्यिक संगोष्ठियां, पुस्‍तक विमोचन, नए लेखकों की पुस्‍तकों का प्रकाशन आदि के कार्यक्रम सहजता से किए जा सकें।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

6 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

6 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

6 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

8 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

11 months ago
Advertisement