उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी नगरपालिका में कथित भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनियमित्ताओं के मामलों की सीबीआई जांच कराये जाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए पालिका के वित्तीय क्रियाकलापों पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। मसूरी निवासी विनोद प्रकाश थपलियाल ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि नगरपालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल ने कार्यभार ग्रहण के दिन से ही कथित रूप से करोड़ों रुपये की अनियमितता की है।
मसूरी के ऐतिहासिक घंटाघर को ध्वस्त कर उसके पुनर्निर्माण के 75 लाख रुपये के कार्य अपने नजदीकी लोगों को आवंटित कर दिए गए। अपने एक अन्य रिश्तेदार को नियमों के विपरीत करोड़ों रुपये का ठेका दे दिया। मसूरी के रोप-वे का संचालन 5 वर्ष की लीज पर एक निजी कंपनी को दिया गया। पालिका व कंपनी ने अनुबंध के समय रोप-वे का किराया प्रति यात्री 40 रुपये तय किया था, लेकिन अनुबंध के दस दिन बाद ही कंपनी ने प्रति व्यक्ति किराया 80 रुपये कर दिया।
विनोद प्रकाश थपलियाल ने याचिका में इसी प्रकार पालिकाध्यक्ष के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के और भी अनेक आरोप लगाए और अदालत से इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की। नगरपालिका ने अपनी सफाई में न्यायालय में शपथपत्र पेश किया था, लेकिन अदालत उससे संतुष्ट नहीं हुई। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष व न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की खंडपीठ ने पालिका से अदालत में पुन: विस्तृत शपथ पत्र पेश करने को कहा और इसके साथ ही आगामी आदेशों तक नगरपालिका के वित्तीय क्रियाकलापों पर रोक लगा दी।