पांवटा साहिब (सिरमौर)। प्रदेश सरकार ने सभी पंचायतों को आनलाइन करने ने लिए करोड़ों रुपये खर्च कर
सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व पंचायतों से सीधे जुड़ने के लिए यह योजना शुरू की थी। इसके लिए पंचायत सचिवों और सहायकों को लैपटॉप भी दिए गए। साथ ही ई-पंचायत आठ एप्लीकेशन का प्रशिक्षण भी संबंधित कर्मचारियों को दिया गया, लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ी। पांवटा विकास खंड में मात्र छह पंचायतें ही ब्राडबैंड सुविधा से जुड़ी हैं। बडवास पंचायत में तो न कंप्यूटर है तथा न ही डाटा आपरेटर। इसके अलावा 57 पंचायतों में ब्राडबैंड या अन्य इंटरनेट की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं। स्थिति यह है कि जो पंचायतें आनलाइन जोड़ी गई थीं, उनमें कहीं पर उत्तराखंड राज्य की रोमिंग है तो कहीं पर सिग्नल ही नहीं है। ऐसे में मोबाइल इंटरनेट के जरिए भी बात नहीं बनी।
परिणाम स्वरूप इन पंचायतों में मनरेगा, इंदिरा गांधी आवास योजना, वाटर शेड, पंचायतों की दिहाड़ी, मानदेय सहित कई योजनाओं की एमआईएस रिपोर्ट आनलाइन तैयार नहीं हो रही है। इसके अतिरिक्त पंचायतों में चलाई जा रही विभिन्न विकास योजनाओं की रिपोर्ट बीडीओ, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, राज्य और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भी नहीं भेजी जा सक रही है।
पांवटा विकास खंड अधिकारी ललित विक्रम सिंह दुल्टा से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि विकास खंड की कुछ पंचायतें उत्तराखंड सीमा से सटी हैं और ज्यादातर पंचायतें दुर्गम क्षेत्रों में पड़ती हैं। वहां पर इंटरनेट कनेक्शन, ब्राडबैंड आदि का सिग्नल जैसी सुविधाएं नहीं होने के कारण ये समस्याएं सामने आ रही हैं।
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