देहरादून। देश भर में भाजपा शासित राज्यों की सरकारों की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा आरोप यह लगता रहा है कि वे नगर निगमों, शहरी निकायों, पंचायतों में चुनकर आए जन प्रतिनिधियों और विधायकों, मंत्रियों तक को दर किनार कर कुछ चुनिंदा अधिकारियों के माध्यम से मनमाने ढंग से काम चलाती हैं। उत्तर प्रदेश और गुजरात में तो ऐसी शिकायतों की इतनी भरमार हुई थी कि पार्टी हाईकमान तक को हरकत में आना पड़ा था।
इसी कड़ी में अब भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड की बारी है। सरकार और प्रशासन पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए शुक्रवार को नैनीताल नगर पालिका में भाजपा और कांग्रेस के कुल 17 सभासदों में से 13 ने मंडलायुक्त को सामुहिक रूप से त्यागपत्र सौंप दिए। दावा किया गया है कि शेष सभासदों ने भी त्यागपत्र देने के लिए सहमती दी है, लेकिन शुक्रवार को वहां मौजूद नहीं होने के कारण त्यागपत्र नहीं दे पाए।
यही नहीं, कुमाऊं मंडल सभासद संगठन ने भी नैनीताल नगर पालिका के सभासदों के सामुहिक त्यागपत्र का समर्थन करते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार ने सभासदों की समस्याओं पर तत्काल फैसला नहीं लिया तो समूचा कुमाऊं मंडल सभासद संगठन भी सामुहिक रूप से अपने त्यागपत्र सरकार को सौंप देगा।
नाराज सभासदों ने शुक्रवार को पहले अधिशाषी अधिकारी (ईओ) अशोक कुमार वर्मा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए हंगामा किया और फिर अपने पदों से सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। नैनीताल के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब एक साथ सभी सभासद इस्तीफा देने को मजबूर हुए है। सभासदों का कहना था कि जब वे आम जनता के काम ही नहीं कर पा रहे हैं तो फिर उनके पद पर बने रहने का क्या औचित्य है।?
मनोज साह, मनोज जोशी, मोहन सिंह नेगी, कैलाश रौतेला आदि सभासदों ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, ‘हमें जनता ने इसलिए चुना है कि हम अपने अपने वार्डों में विकास कार्य करा सकें और लोगों की समस्याएं हल कर सकें। हमने कई बार जिला प्रशासन और पालिका के ईओ के समक्ष अपनी बातें रखीं, लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया गया। पालिका सभासदों को विश्वास में लिए बिना विकास कार्यों के टेंडर करा देती है। जब इस संबंध में ईओ से पूछते हैं तो वे किसी भी बात का जवाब नहीं देते।’
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने यहां से नगर पालिका के कर अधीक्षक, कर निरीक्षक व लेखाकार का स्थानांतरण तो कर दिया गया, लेकिन इन पदों पर नई तैनाती नहीं की गई, जिस कारण पालिका में कोई भी काम नहीं हो रहा है। पालिका में न तो उनकी कोई बात सुनी जाती है और न ही प्रार्थना पत्रों पर कोई कार्रवाई होती है।’
उन्होंने आरोप लगाया कि पालिका के ईओ हों या जिला प्रशासन, कोई भी सभासदों की बात नहीं सुनता। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी अवैध रूप से कारोबार कर रहे लोगों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर की गई शिकायतों और पत्रों का संज्ञान नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि जन समस्याओं को लेकर कई बार पत्राचार किया जा चुका है। लेकिन समाधान के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयन्ती आदि समारोहों से संबंधित बैठकों में सभासदों को आमंत्रित नहीं किया जाता। अवैध कार्यों के संबंध में की गई शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। अधिकागण समाधान करने के बजाय तथ्यों को छुपाने का ही कार्य करते हैं।
कुमाऊं मंडल सभासद संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल जोशी ने कहा कि पालिका प्रशासन और प्रदेश सरकार नैनीताल के सभासदों की बात नहीं सुन रहे हैं, जो गलत है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता हुई। वहां से भी केवल आश्वासन ही मिले। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सभासदों की मांगों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई तो कुमाऊं मंडल की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भी सभासद सामुहिक इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
इस्तीफा देने वाले सभासद- नैनीताल नगर पालिका में सामूहिक इस्तीफे देने वाले सभासदों में- सागर आर्य, सुरेश चंद्र, भगवत रावत, गजाला कमाल, मनोज साह जगाती, कैलाश रौतेला, दया सुयाल, राजू टांक, मोहन सिंह नेगी, प्रेमा अधिकारी सहित मनोनीत सभासद मनोज जोशी, तारा राणा और राहुल पुजारी शामिल हैं। इन सभासदों का दावा है कि सभासद रेखा आर्य, निर्मला चंद्रा व दीपक बर्गली ने भी सामूहिक इस्तीफे पर अपनी सहमति जताई है, हालांकि ये तीनों सभासद शुक्रवार को पालिका में उपस्थित नहीं थे।