उधमसिंह नगर (खटीमा)। यह शहीदों के परिजनों के प्रति प्रदेश सरकार के उपेक्षित रवैये की इंतिहा है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन
शहीद के 73 वर्षीय पिता नानक सिंह ने मीडिया को बताया कि उनके इकलौते बेटे के शहीद होने के बाद बहू भी छोड़ कर चली गई। बेटी का सहारा भी कुछ दिनों बाद छिन गया। उसकी भी मौत हो गई। वे यहां राजीव नगर में किराये के मकान में रहते हैं, जिसका किराया 900 रुपये है। किराया पति-पत्नी को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन से अदा होता है। ऐसे में वे किसी तरह एक वक्त की रोटी खाकर गुजारा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बेटे के शहीद होने पर सरकार ने वर्ष 2008 में मकान बनाने के लिए उन्हें 30 गुणा 15 फुट का एक आवासीय प्लॉट जनजाति आइटीआइ के पास अलाट किया था, लेकिन उसका कब्जा उन्हें आज तक नहीं मिल पाया है।
उन्होंने बताया कि कब्जेदार ने उल्टा उन पर केस कर दिया था। बाद में अदालत से भी उनके (नानक सिंह के) हक में फैसला हो गया, लेकिन उसके बावजूद प्रशासन उन्हें प्लाट का कब्जा नहीं दिला रहा। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उन्हें मात्र कोरे आश्वासन ही दे रहे हैं। शहीद की मां सरन कौर ने पत्रकारों को बताया कि कुछ लोग उनसे राजीनामे के लिए दबाव बना रहे हैं तथा सरकार से मिली जगह छोड़ने के लिए कुछ रुपये दे रहे हैं। उन्होंने इसकी जानकारी भी प्रशासन को दे है, लेकिन उसके बावजूद वह उनकी कोई मदद नहीं कर रहा। अंततः थकहार कर उन्होंने शासन-प्रशासन को लिखित में चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों में उन्हें आवंटित भूखंड नहीं मिला तो वे आत्मदाह कर लेंगे।