बिलासपुर। प्रशासन के लाख दावों के बावजूद अंततः साबित हो गया कि बिलासपुर जिले की दो पंचायतों- रघुनाथपुरा और
आंत्रशोथ का प्रकोप फैलने पर आईपीएच विभाग बार-बार दावे कर रहा था कि पानी में कोई भी खराबी नहीं है, लेकिन यह सारे दावे खोखले साबित हुए। हैरानी तो इस बात की है कि विभाग ने सोमवार को भी अपने चहेते पत्रकारों को बुलाकर बाकायदा पत्रकार वार्ता करके यह साबित करने की भी कोशिश की कि पानी में कोई खराबी नहीं है, जबकि शिमला से आई टीम ने पाया है कि गांव के लिए सप्लाई होने वाले एक प्राकृतिक जल स्रोत और एक परिवार के व्यक्तिगत बोरवेल का पानी प्रयोग करने लायक नहीं है। दोनों में ही कोलीफार्म की मात्रा काफी अधिक पाई गई है। टीम के प्रमुख डॉ. बलराज ने बताया कि मल आदि गंदगी मिल जाने पर पानी में कोलीफार्म की मात्रा ज्यादा हो जाती है। यह मात्रा 10 से ज्यादा होने पर पानी पीने के लायक नहीं रहता। ऐसा पानी पीने से जलजनित बीमारियां फैल जाती हैं।
उन्होंने कहा कि बिलासपुर में आंत्रशोथ निश्चित रूप से गंदे पानी के सेवन से ही फैला है। जिस प्राकृतिक स्रोत का सेंपल फेल हुआ है, वहां से पानी आईपीएच विभाग के टैंक को जाता है। इस लिए विभागीय लापरवाही इस मामले में स्पष्ट रूप से सामने आई है।
वास्तव में बिलासपुर में पेयजल योजनाओं के उचित रखरखाव के लिए बजट और स्टाफ दोनों की ही भारी कमी है। स्थिति यह है कि आईपीएच विभाग के पास नए प्रोजेक्टों के लिए तो बजट उपलब्ध रहता है, लेकिन पुराने प्रोजेक्टों की मुरम्मत और देखभाल के लिए कोई बजट नहीं आ रहा।
बिलासपुर जिले की 35 पेयजल योजनाएं ऐसी हैं, जिन की हालत खस्ता है और उन्हें मरम्मत की आवश्यकता है। विभाग के पास इनके लिए न कोई बजट है और न ही उनके देखभाल के लिए पर्याप्त स्टाफ। ऐसे में जल जनित बीमारियां फैलने का खतरा पूरे जिले पर मंडरा रहा है।