देहरादून। अभी तक मैदान में ही विचरण करती रही उत्तराखंड सरकार के एजेंडे में एकाएक
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाल ही में पर्वतीय क्षेत्रों पर केंद्रित कुछ बैठकों को संबोधित किया। बीजापुर में उच्च अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पर्वतीय किसानों को भांग की खेती के लिए लाइसेंस देने की योजना बना रही है। लेकिन शर्त है कि वे भांग चरस तैयार करने के लिए नहीं, बल्कि रेशा व बीज उत्पादन के लिए उगाएंगे। ये उत्पाद सरकार उनसे खरीदेगी। आवश्यकता पड़ने पर सरकार किसानों को इसमें अनुदान भी देगी।
इस बैठक, जिसमें सलाहकार मुख्यमंत्री इंदु कुमार पांडे, मुख्य सचिव राकेश शर्मा, आबकारी आयुक्त विनय कुमार पांडे आदि भी मौजूद थे, को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने पंतनगर विश्वविद्यालय, विवेकानंद अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा और भरसार विश्वविद्यालय को भांग की उन्नत किस्म का बीज तैयार करने के निर्देश भी दिए।
हरीश रावत ने कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों के साथ एक अन्य बैठक में घोषणा की कि कुछ पर्वतीय फसलों के उत्पादन में किसानों को बोनस दिया जाएगा। मंडुआ, झंगोरा, रामदाना और फाफरा आदि के उत्पादन पर 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस, जबकि मिर्च पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस मिलेगा। उन्होंने अधिकारियों को यह निर्देश भी दिया कि प्रत्येक गांव में कुछ क्षेत्र मिर्च की खेती के लिए संरक्षित किया जाए और उसे मिर्च संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। बैठक में कृषि एवं उद्यान मंत्री डा. हरक सिंह रावत, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार रणजीत रावत और प्रमुख सचिव एस रामा स्वामी आदि मौजूद थे।
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