इसलिये हम कॉमरेड हैं। कुछ सत्य अगर दोहरा दिए जाएं तो हर्ज नहीं होगा। जैसे
* देसी विदेशी कारपोरेट कंपनियों से चन्दा लेने की सख्त मनाही है। एक बार सभी पार्टियों के साथ टाटा ने इस पार्टी को भी 22 लाख रुपये के चुनावी चंदे की पहली किस्त का चेक भेजा था। माकपा ने लौटती डाक से ही उसे लौटा दिया था।
* यह पार्टी मेहनतकश जनता के बीच जाकर चन्दा इकट्ठा करती है। पांच सौ रुपये से अधिक का दान करने वालों के बारे में सम्बंधित पार्टी समिति को सूचित किया जाता है।
* प्रत्येक पार्टी सदस्य अपनी मासिक आमदनी पर निर्धारित मासिक लेवी का भुगतान पार्टी को करता है। आन्दोलनों में सक्रियता व जनता को संगठित करने के साथ यह भी सदस्यता की एक अनिवार्य शर्त है।
* इसके सांसद/विधायक/मुख्यमंत्री/मंत्री/पार्षद इत्यादि खुद को मिलने वाले सारे वेतन- भत्ते पार्टी के पास जमा करते हैं। पार्टी उन्हें पूर्णकालिक कार्यकर्ता को दिया जाने वाला भत्ता प्रदान करती है,जो दिल्ली में रहने वालों के लिए 10 -12 हजार रुपये प्रतिमाह है। राज्य- जिले वालों के लिए कहीं इसका आधा तो कहीं उससे भी कम है।
* माकपा के हर स्तर के बड़े छोटे नेताओं व कार्यकर्ताओं ने अपना बहुत कुछ/सब कुछ पार्टी को देकर पूरा जीवन इस विचारधारा को व्यवहार में लाने के लिए समर्पित कर दिया। ऐसे उदाहरण केरल, बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा के ही नहीं हैं बल्कि मध्यप्रदेश जैसे राज्य में भी ऐसे लोगों की संख्या तीन अंकों से ज्यादा यानी हजारों में है।
* इसकी नीचे से ऊपर तक की समिति का प्रत्येक सदस्य हर वर्ष अपनी सदस्यता के नवीनीकरण के वक़्त अपनी और अपने सगे सम्बन्धियों की आय, चल-अचल संपत्ति का विस्तृत लिखित ब्योरा प्रस्तुत करता है, जिसकी समिति द्वारा जांच भी की जाती है।
* माकपा एकमात्र पार्टी है, जिसके एक भी नेता/कार्यकर्ता पर उसके धुर विरोधियों तक ने भ्रष्टाचार के आरोप तक नहीं लगाए। इस पार्टी ने तीन राज्यों में सरकारें दसियों वर्ष चलाईं, संसद में काफी बड़ी ताकत में इसके सांसद रहे और केन्द्रीय राजनीति में भी अहम् भूमिका निभाई। इसके बाद भी किसी हवाला डायरी या घपलेबाजी में इसके एक भी सदस्य का जिक्र तक नहीं आया।
भ्रष्टाचार को कोसने और सभी पार्टियों को एक जैसा बताने वालों को भी यह सच्चाई पता है। मगर कभी आपने उनके मुंह से इसे सुना? नहीं !! क्यों? इसलिए कि उनमें से ज्यादातर की शिकायत भ्रष्टाचार या उसकी गटर कार्पोरेट पूंजी से नहीं है, उनका मलाल सिर्फ इतना है कि उनके हिस्से में ज्यादा नहीं आया। कूड़ा करकट कहां है, यह बताने भर से काम नहीं चलेगा। उसे साफ़ करने के लिए लाल झंडा भी उठाना पड़ेगा। यहीं से आपका सही रास्ता शुरू होगा।