कार्ल हेनरिख मार्क्स
प्रस्तुत हैं कार्ल मार्क्स के दस प्रमुख सूत्र वाक्यः
- पूंजी मृत श्रम है, जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है।
- हर किसी से उसकी क्षमता के अनुसार, हर किसी को उसकी जरूरत के अनुसार।
- दुनिया भर के मजदूरों एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं है सिवाये अपनी जंजीरों के।
- महान सामाजिक बदलाव महिलाओं के उत्थान के बिना असंभव हैं।
- मानव मस्तिष्क जो न समझ सके, धर्म उससे निपटने की नपुंसकता है।
- सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है।
- जरूरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाए, आजादी जरूरत की चेतना होती है।
- लोगों की खुशी के लिए पहली आवश्यकता है- धर्म का अंत।
- कंजूस एक पागल पूंजीपति है, पूंजीपति एक तर्क संगत कंजूस।
- धर्म लोगों के लिए अफीम की तरह है।
प्रस्तुतिः एचएनपी सर्विस