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‘मेरे लिए तो तू ही मेरी बेटी, तू ही बेटा…’

 

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पल्लवी से मां की मृत्यु के बाद की रस्में अदा करवाते पुरोहित।

मंडी। …बीमार एवं लाचार मां को जब लगा कि उसके बचने की अब कोई उम्मीद नहीं है तो उसने एकमात्र सहारा अपनी सात वर्षीय बेटी पल्लवी को पास बुलाया और बोली- “देख, मेरे मरने से दुखी मत होना… मेरे लिए तो तू ही मेरी बेटी है और तू ही बेटा… मैं चाहती हूं मेरे मरने के बाद तू ही मेरा अंतिम किरया कर्म करे। बस यही मेरी इच्छा है….।” मासूम पल्लवी गुमसुम यह सुनती रही और उसने दृढ़ता से मां को आश्वासन दिया कि वह उसकी इच्छा जरूर पूरा करेगी। मां के निधन के बाद रूढ़िवादी समाज के तमाम विरोधों के बावजूद पल्लवी अपनी जिद पर अड़ गई और उसने अंतिम संस्कार से लेकर सारी रस्में स्वयं पूरी कीं। यह ताजा घटना मंडी जिला में सदर उपमंडल के तहत गांव बनैट रंधाड़ा की है, जिसकी आज दूर-दूर तक चर्चा हो रही है।

पल्लवी की मां कंचना (32) की मौत बीते सप्ताह हो गई। कंचना को उसके ससुराल में कथित रूप से तंग किया जाता था और इसी बीच वह बहुत बीमार हो गई। ससुराल में उसके पति और अन्य लोगों ने जब उसकी कोई देखभाल नहीं की तो उसे मजबूरन अपनी मां के घर बनैट रंधाड़ा आना पड़ा। बीमारी की हालत में जब उसे लगा कि अब उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं रह गई है तो उसने अपनी सात साल की बेटी पल्लवी को यह आघात सहने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना शुरू किया और कहा कि उसके मरने के बाद उसका अंतिम क्रिया कर्म वह ही करे।

पल्लवी छोटी जरूर थी मगर उसके जहन में बात गहरे बैठ गई। उसने मां को आश्वासन दिया और प्रण लिया कि जो भी हो वह मां की अंतिम इच्छा को जरूर पूरा करेगी। कुछ ही दिन बाद पिछले सप्ताह मां कंचना चल बसी। पल्लवी अपने ननिहाल में होते हुए भी इस बात पर कायम रही कि मां की मौत के अंतिम संस्कारों में होने वाली सभी रस्मों को वह स्वयं निभाएगी। लोगों ने उसे समझाने की लाख कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। पंडित पुरोहित भी इस नन्ही बच्ची के जज्बे को देख कर सन्न रह गए। परिणामस्वरूप पल्लवी ने अंतिम संस्कार व पिंडदान से लेकर सोमवार को संपन्न हुई अंतिम रस्म व शुद्धि  तक की सभी रस्में खुद निभाईं।

पल्लवी के सिर पर से मां का साया उठ गया है। पिता के प्यार की न उसे उम्मीद है और न ही परवाह। इस समय उसके लिए नानी सावित्री ही एक मात्र सहारा है।

भले ही समाज बेटे के मोह से स्वयं को पूरी तरह मुक्त नहीं कर पाया है। अभी भी यह धारणा बनी हुई है कि एक बेटा ही मां बाप की मौत के बाद उनकी अर्थी को कंधा दे सकता है, उनके अंतिम संस्कार संपन्न करवा सकता है और उसके ही हाथ से पिंडदान सफल होता है। लेकिन लगता है अब जमाना तेजी से बदलता जा रहा है। पल्लवियां इस रूढ़िवादी समाज से टक्कर लेने के लिए दृढ़ता से आगे आने लगी हैं।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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