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‘सद्गुरुओं’ के महाढोंगी चेले और शिव का पलायन

मैं जब बालक था और मनाली में एक रेस्तरां में नौकर था तो एक युवा अफ्रीकी लड़की मेडेलिन ने मुझे अपनी कविताओं का संग्रह दिया। किताब अंग्रेजी में थी। मनाली के पास जगतसुख गाँव में एक अनोखे शायर चाँद कुल्लुवी रहते थे। उनका पूरा नाम लालचंद प्रार्थी ‘चाँद कुल्लुवी’ था। मैंने उन्हें जवाहरलाल नेहरू के साथ जंगलों में घूमते भी देखा था। एक बार वे अकेले मिल गए तो मैंने उन्हें मेडेलिन की किताब देकर कहा, “इसमें मेडेलिन की बहुत सारी कविताएं हैं। हर कविता के साथ उसके जिस गुरु का चित्र छपा है, उसे तो मैंने पहचान लिया है, मगर कविताओं के बारे में मैं आपसे जानना चाहता हूँ।”

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 प्रार्थी जी ने किताब को सरसरी तौर पर देखा और दसेक मिनट के बाद बता दिया कि सारी कविताएं मुहब्बत की कविताएं हैं। अपने गुरु के लिए। फिर उन्होंने पूछा, “तुम उसके गुरु को कैसे जानते हो?”मैंने कहा, “मैं सब गुरुओं के साथ रहता आया हूँ। अपनी सेहत लायक दाने चुराने के लिए।”मेडेलिन ने चरण सिंह महाराज के लिए अपने प्रेम को जिस शिद्दत और असीम लगाव से गाया है, वैसा हिंदी भाषी कोई स्त्री किसी गुरु के लिए नहीं गा सकती, किसी लेखक, संपादक या प्रकाशक प्रेमी के लिए भी नहीं। सहलेखक तक के लिए नहीं। पति के लिए तो सोच भी नहीं सकती।

हाँ, उर्दू और पंजाबी की बात और है। उसमें सिर्फ एक अमृता प्रीतम भर नहीं है। सिर्फ एक राबिया भर नहीं है। नंगी घूमने वाली कश्मीरन लल्ला तक बात जाती है, जिसके लिए कश्मीरी कहते हैं कि हम दो ही नाम जानते हैं- अल्ला और लल्ला!  मेडेलिन अचानक मिली थी और अचानक खो गई । कहीं होगी तो 80 पार होगी। उसने गुरु को उस तरह देखा ही नहीं, जैसे भारत के महाढोंगी चेले अपने ‘सद्गुरुओं’ को देखते हैं। बेचारे सद्गुरु! प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों के बगैर शोभित नहीं होते। रजनीश के जाते ही ऐसे फैले कि थोड़ा बहुत जो ‘शिव’ भारत में टहलता था, वह भी पार्वती का हाथ पकड़ कर सीधा चीन स्थित कैलाश मानसरोवर में पहुंचकर ही लंबी सांस ले पाया। 

हालांकि, वहाँ भी अब उसके लिए वह निर्द्वन्द्व हिमालय नहीं बचा, जहां यह आदि रहस्यदेव सदा निराकार में ही विचरता आया था। शिव सदा का जोगी और सदा का घुमंतू है। साथ में सदा का रहस्य। कहाँ तुम उसे अनाप-शनाप पैसों से अपनी बनाई मूर्तियों में खड़ा कर रहे हो! तुम्हारे हाथ वह कभी नहीं आएगा।  लेखक, सैन्नी अशेष, विख्यात साहित्यकार एवं विचारक हैं।

Sainni Ashesh

Sainni Ashesh is a famous writer, poet, and a philosopher. He is from Manali and has written a lot of books.

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