बद्दी। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के साथ लगते पहाड़ी क्षेत्र हरीपुर में गांव कंडोल के नराता
नराता राम बताते हैं कि बहुत छोटी आयु में ही उन्होंने पहले अपने पिता अमर लाल के साथ लोगों के मकान बनाने का काम शुरू किया। फिर मंदिर बनाने लगे और अब पिछले कई वर्षों से देवी- देवताओं की मूर्तियां तराशने का काम कर रहे हैं। हालांकि उनके परिवार पर गरीबी का साया भी बना रहा, लेकिन उन्होंने मूर्तियां तराशने का कार्य लगातार जारी रखा।
नराता राम ने बताया कि जब वे मन्दिरों का निर्माण करते थे, उसी दौरान एकाएक उनके मन में मूर्तियां बनाने की जिज्ञासा पैदा हुई। अभ्यास शुरू किया और भगवान की मेहरबानी से उन्हें शीघ्र ही कामयाबी भी मिल गई। उसके बाद तो एक के बाद एक मूर्तियां तराशने का सिलसिला शुरू हो गया। आज इस काम में उनके पुत्र भी हाथ बंटा रहे हैं।
नराता राम ने बताया कि वे हिमाचल, पंजाब व हरियाणा में मां शेरांवाली, शिव शंकर भोले नाथ, हनुमान, साईं बाबा, भैरोनाथ और बाबा बालकनाथ आदि की बड़ी संख्या में मूर्तियां बनाकर भेज चुके हैं और चाहते हैं कि सारी उम्र इसी प्रकार देवी- देवताओं की सेवा करते रहें। उनकी यह भी इच्छा है कि सरकार यदि मौका दे तो वे प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजे में भी सहयोग करना चाहते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नराता राम के इस हुनर के लिए सरकार को उन्हें उचित सम्मान देना चाहिए ताकि प्रदेश में इस कला को और प्रोत्साहन मिल सके।