देहरादून (धारचूला)। चीन की सीमा से लगते उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र की पांच ग्राम पंचायतों में विवाह की परंपराओं में व्यापक परिवर्तन किया गया है। कहा जा रहा है कि ऐसा ग्रामीण रीति रिवाजों को बाहरी प्रभावों से मुक्त करने के उद्देश्य से किया गया है। स्थानीय विभिन्न संस्थाओं ने ग्रामीणों के साथ आम सहमति बनाकर यह निर्णय लिया। नए नियम नहीं मानने पर जुर्माना वसूलने की भी व्यवस्था की गई है।
चीन की सीमा से लगे नाबी गांव के ग्रामीणों ने हाल ही में शादियों में बाहरी परंपराओं का प्रभाव बढ़ने पर गहरी चिंता जताई थी और अपनी परंपराओं को जीवित रखने के लिए विवाह के वर्तमान नियमों में बदलाव कर नियमावली बनाने का बीड़ा उठाया था।
वैवाहिक नियमों में संशोधन के लिए साथ की अन्य चार ग्राम पंचायतों गुंजी, नपलच्यु, रोंगकोंग और कुटी ग्राम पंचायतों से भी अपील की। उनकी भी इसमें स्वीकृति मिल गई। व्यास ऋषि मेला समिति के संरक्षक कुशल सिंह नपलच्याल और मदन सिंह नबियाल की अगुआई में गत दिवस पांचों ग्राम पंचायतों की हुई बैठक में विवाह समारोह के लिए बने नए नियमों का एक अप्रैल से पालन करने का निर्णय लिया गया है।
विवाह समारोह के ये है नए नियम
बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार इन गांवों में होने वाली शादियों में अब महिलाएं बारात में शामिल नहीं हो पाएंगी। प्रत्येक बाराती के लिए पगड़ी पहनना आवश्यक होगा। दुल्हन के घर से बारात हर हालत में सायं पांच बजे से पूर्व विदा हो जाएगी।
अब इन गांवों की शादियों में विदेशी मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, केवल स्थानीय मदिरा का ही प्रयोग होगा। हल्दी रस्म पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। मेहंदी रस्म केवल लड़की पक्ष वाले ही करेंगे। वर- वधु पक्ष वाले स्यिमे त्वंकल ठोम यानि पितृ पूजा करेंगे।
लड़की की शादी में केवल दुल्हन के पिता मात्र दूल्हे को पगड़ी पहनाएंगे और दूल्हे पक्ष से एक पगड़ी दुल्हन के पिता और एक पगड़ी दुल्हन के बड़े मामा को दी जाएगी।
विवाह कार्यक्रम में दिन के खाने का समय दोपहर 12 से सायं चार बजे तक का ही होगा। इसके बाद मात्र चाय-पानी ही होगा। विवाह में बजने वाला म्यूजिक सिस्टम शादी व मेहंदी में केवल चार घंटे सायं 6 से 10 बजे तक ही बजेगा। दूसरे, तीसरे दिन केवल दो घंटे ही बजेगा। बारातियों को रास्ते में ग्रामीणों द्वारा बुलाए जाने की प्रथा पूरी तरह बंद रहेगी।
जिस गांव में बारात जा रही है, वहां चैमे रिस्म्या गांव की बेटियां ही चाय पानी के लिए बुला सकती हैं। इसमें बारातियों द्वारा साढ़े पांच हजार का शगुन दिया जाएगा।
लड़कों की शादी में दूल्हे के पक्ष वाले दुल्हन पक्ष के नाते, रिश्तेदारों को प्रीति भोज में बुलाएंगे। ग्राम सभा, महिला सभा, नव युवक संघ, नव युवती संघ, कल्याण संस्था, व्यास ऋषि मेला समिति, गांव के ईष्टदेव व अन्य समितियों के लिए दिए जाने वाले यर की रकम भी निर्धारित कर दी गई है।
नए नियमों के अनुसार लड़की के विवाह में मांग भराई रस्म में औरतों के जाने में मनाही रहेगी। केवल दुल्हन की बहनें, सहेलियां और दूल्हे के भाई और दोस्त रहेंगे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि नियमों का पालन नहीं करने वालों पर साढ़े पांच हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माना वसूलने की जिम्मेदारी ग्राम सभा, युवक, युवती महिला मंगल दलों, सरपंच और समाज सेवकों की होगी। जुर्माना वसूलने वालों के साथ अभद्रता करने पर उस परिवार का पांच ग्राम पंचायत और व्यास ऋषि मेला समिति द्वारा सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। यह नियम एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे।