सुंदरनगर। हिमाचल प्रदेश विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) शीघ्र ही संतरे और बुरांस की वाइन बनाने की
एचपीएमसी के इस निर्णय से जहां प्रदेश के निचले- कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर आदि जिलों के संतरा उत्पादकों को लाभ होगा, वहीं मध्यवर्ती एवं ऊपरी क्षेत्रों, जहां बुरांस के फूल काफी मात्रा में पाए जाते हैं, के लोगों को भी अतिरिक्त रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। जंगल में खिलने वाले औषधीय गुणों से भरपूर बुरांस के फूलों को ग्रामीण अभी तक चटनी, स्क्वैश, जूस एवं जैली आदि बनाने में प्रयोग करते हैं। अब इन्हें एकत्रित कर वाइन बनाने के लिए बेचकर भी आय अर्जित कर सकेंगे।
एचपीएमसी अभी तक संतरे का जूस व स्कवैश बनाकर मार्केट में बेचता था। वाइन बनाने के निर्णय से संतरे की खपत और बढ़ेगी। विशेषज्ञों के अनुसार संतरे से बनने वाली वाइन शीतल होती है और पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है।
एचपीएमसी के जड़ोल स्थित संयंत्र के प्रबंधक विनीत कौशिक का कहना है कि वास्तव में फलों से बनने वाली वाइन एक अच्छी हेल्थ ड्रिंक होती है, क्योंकि इसमें अल्कोहल की मात्रा बहुत कम होती है। व्हिस्की में 42 फीसद तक अल्कोहल होता है। इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। उन्होंने कहा कि आरंभ में संतरे और बुरांस की वाइन सीमित मात्रा में ही तैयार की जाएगी। मांग बढ़ने पर इसका अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाएगा।
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