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‘कोटखाई प्रकरण’ में किसे बचा रही पुलिस ?

शिमला। कोटखाई में नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप और हत्या के खौफनाक मामले मेंजनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट लोगों ने शुक्रवार को ठियोग में उग्र प्रदर्शन करते हुए चक्का जाम किया और पुलिस की गाड़ियों से तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारी मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।  

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आंदोलनकारियों का आरोप है कि पुलिस प्रभावशाली अपराधियों को बचा रही है और मात्र खानापूर्ति के लिए आम लोगों को पकड़ा गया है, जो बाद में साक्ष्यों के अभाव में छूट जाएंगे। पुलिस महानिदेशक सोमेश गोयल और आईजी जहूर एच  जैदी ने वीरवार को मीडिया के समक्ष खुलासा किया था कि छात्रा के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले में छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें दो कोटखाई के, दो उत्तराखंड के और दो नेपाली मजदूर शामिल हैं।

आंदोलनकारियों ने उसी समय पुलिस की इस जांच को सिरे से नकार दिया और सीबीआई जांच की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। जनता के आक्रोश को उस समय और बल मिला जब मृतक छात्रा के माता- पिता ने भी कह दिया कि, “इस मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनकी संलिप्तता पर हमें संदेह है। हम इस जांच से संतुष्ट नहीं है। पुलिस मामले को दबा रही है।” 

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गणेश दत्त ने अपने फेसबुक वॉल पर टिप्पणी की, “कोटखाई के पास हालाईला में एक बालिका के साथ बलात्कार और निर्मम हत्या के बाद मामले की जांच और उससे जुड़ी डोर को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। किसी खास को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। ध्यान रखना खून किसी को माफ नहीं करता, यह ईश्वर का नियम है।” 

पूर्व पुलिस महानिरीक्षक आईडी भंडारी ने विवाद को शांत करने के लिए टिप्पणी की कि, “इतने गंभीर मामले में असली अपराधियों को बचाना और निर्दोषों को फंसाना किसी के लिए भी संभव नहीं होता है। इतने बड़े स्तर पर हुई जांच कभी एकतरफा नहीं हो सकती। इसलिए लोगों को किसी के भी उकसावे में नहीं आना चाहिए और पुलिस पर भरोसा करना चाहिए।”  

बड़ी संख्या में लोगों ने सोशल मीडिया में पुलिस की थ्यूरी पर ढेरों सवाल दागे और जांच को खारिज किया। लोग यह मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि छात्रा की लाश जहां बरामद हुई, अभियुक्तों ने वहीं पर उसके साथ हैवानियत की, जबकि वह स्थान बस्ती से मात्र कुछ मीटर की दूरी पर था। यह भी पूछा जा रहा है कि जब सारे अभियुक्त गांव में ही मौजूद थे तो पुलिस को उन्हें पकड़ने में पांच दिन क्यों लग गए? इसी तरह के और भी सवाल हैं, जो पुलिस से किए जा रहे हैं। 

इस जघन्य कांड पर पूरे शिमला जिले के लोग इस आंदोलित हैं तथा लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को लोगों ने ठियोग भी भारी रोष प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय मार्ग पर घंटों जाम लगाया। इस दौरान पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की तीखी झड़पें भी हुईं। क्रुद्ध भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों से तोड़फोड़ भी की। आंदोलनकारी सरकार पर मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग पर अड़े हैं।       

माना जा रहा है कि इस केस में पुलिस की जांच अभी आरंभिक अवस्था में है तथा पुलिस ने मात्र जनता के आक्रोश को शांत करने के लिए जल्दबाजी में अपना फैसला सुना दिया। हो सकता है आने वाले समय में पुलिस किसी ठोस नतीजे पर पहुंचे।

  

एचएनपी सर्विस

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