देहरादून। सत्ता जब भ्रष्टाचार अथवा अन्य आपराधिक मामलों के अभियुक्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाए उनकी पीठ थपथपाती हुई नजर आए तो संदेह उंगलियां स्वभाविक रूप से सत्ताधीशों पर ही उठने लगती है। हरिद्वार जिले में करोड़ों का छात्रवृत्ति के घोटाले के आरोपों का सामना कर रहे अधिकारी पर कार्रवाई करने के बजाए शासन ने उसकी हरिद्वार जिले में ही फिर से तैनाती कर दी है। मामला राज्य के समाज कल्याण विभाग का है।
चमोली जिले के प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे टीआर मलेठा पर हरिद्वार में सहायक समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप है। शैक्षणिक संस्थाओं में अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्र-छात्राओं के फर्जी प्रवेश दिखाकर फीस प्रतिपूर्ति के रूप में करोड़ों की धनराशि का गबन किया गया है। मामला प्रकाश में आने पर मलेठ को गत वर्ष स्थानांतरित कर दुर्गम चमोली जिले में भेज दिया था।
कार्रवाई की खानापूर्ति के नाम पर एसआईटी ने इस मामले में विभिन्न थानों में मुकदमा दर्ज कर टीआर मलेठा सहित विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ अग्रिम विवेचना की अनुमति मांगी है।
प्रमुख सचिव एल फैनई की ओर से il 31 अगस्त को जारी आदेश में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विवेचना की विभागीय अनुमति देने की कार्यवाही की जानी है। प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही करते हुए इससे शासन को अवगत कराया जाए। लेकिन हैरानी की बात है कि धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों में अभियुक्त मलेठा को अब शासन ने फिर से हरिद्वार जिले में ही प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनाती दे दी। उनके तबादले के संबंध में अपर सचिव झरना कमठान ने आदेश जारी किए हैं। हरिद्वार जिले के जिला समाज कल्याण अधिकारी अमन अनिरुद्ध का हरिद्वार से जिला समाज कल्याण अधिकारी ऊधमसिंह नगर के पद पर तबादला किया गया है।
इस संबंध में एल फैनई, प्रमुख सचिव, समाज कल्याण से बात की गई तो उनका कहना था, “संबंधित अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, इसे दिखवाया जाएगा। विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ही अधिकारियों के तबादले किए जाते हैं।”
तो क्या यह तबादला आदेश विभागीय मंत्री के अनुमोदन से हुए? यदि ऐसा है तो सवाल उठता है कि करोड़ों के इस घोटाले की जांच कैसे होगी, कब होगी और कौन करेगा? …और इस घोटाले के लिए सचमुच में कौन जिम्मेदार है?