देहरादून। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा से ध्वस्थ हुआ पर्यटन व्यवसाय अपने शवाब पर लौटने लगा है। यहां विश्व धरोहर फूलों की घाटी में पर्यटकों की आवाजाही ने इस बार पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए। इस सीजन में अभी तक घाटी में 9336 पर्यटक दस्तक दे चुके हैं, जबकि करीब एक माह का सीजन अभी शेष है। आज तक सीजन में कभी भी यहां इतने पर्यटक नहीं पहुंचे। यहां पर्यटकों से होने वाली आय में रिकार्ड टूटा है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने पहली बार पर्यटकों से साढ़े सोलह लाख रुपये की कमाई की। फूलों की घाटी में अभी भी पर्यटकों की लगातार आवाजाही को देखते हुए कहा जा सकता है कि भ्यूंडार घाटी के अच्छे दिन लौट आए हैं।
उल्लेखनीय है कि फूलों की घाटी का दीदार करने के लिए पर्यटकों को वहां जाने की इजाजत जून से अक्टूबर माह तक होती है। इस दौरान राष्ट्रीय पार्क के नियमों के अनुसार शुल्क देकर ही पर्यटक घांघरिया से आगे बढ़ सकते हैं। समुद्रतल से 3962 मीटर की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली इस घाटी के दीदार को हर साल देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं।
वन क्षेत्राधिकारी, फूलों की घाटी (चमोली) दीपक रावत ने बताया कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद यहां आवाजाही ना के बराबर हो गई थी, जिससे पर्यटन कारोबार से जुड़े भ्यूंडार घाटी के लोग मायूस थे। लेकिन इस बार पर्टकों की बढ़ती आमद ने उनकी मायूसी दूर कर दी। अब तक 9336 पर्यटक घाटी का दीदार कर चुके हैं। इससे नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को 16,33,125 रुपये की आय हुई है, जो कि अपने आप में रिकार्ड है।
फूलों की घाटी में पर्यटकों की आमद के पिछले छह वर्षों के आंकड़े बताते हुए दीपक रावत ने बताया कि यहां वर्ष 2011 में 6855, वर्ष 2012 में, 8799, वर्ष 2013 में 484, वर्ष 2014 में 181, वर्ष 2015 में 6501 पर्यटक आए थे, जबकि इस बार वर्ष 2016 में अभी तक ही 9336 पर्यटक घाटी में दस्तक दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी घाटी के दीदार के लिए देश-विदेश से पर्यटकों की ओर से जानकारियां जुटाई जा रही हैं। उम्मीद है सीजन समाप्त होने तक पर्यटकों का आंकड़ा 10,000 तक पहुंच जाएगा।
धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन में भी सुधारः प्रदेश के संस्कृति-तीर्थाटन एवं पर्यटन परिषद उपाध्यक्ष हरीश उपाध्याय ने कहा है कि राज्य में धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन में भी सुधार हुआ है। यहां साहसिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा सीमांत जिले पिथौरागढ़ में तमाम पर्यटन स्थलों को पर्यटन सर्किट से जोड़ा गया है। अब थल के एक हथिया देवल को भी इस सर्किट से जोड़ा जाएगा ताकि क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके।