शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला लेते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह वर्ष 1972 से पहले प्रदेश में रहने वाले गैर कृषकों को जमीन खरीदने के लिए धारा- 118 की अनुमति की बाध्यता को समाप्त करे और इसके लिए 90 दिनों के भीतर हिमाचल टिनेंसी एंड लैंड रिफार्म्स एक्ट में जरूरी संशोधन किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश पारित करते हुए कहा कि अदालतों में लंबे समय से धारा 118 से संबंधित मामलों में मुकदमेबाजी चल रही है। प्रदेश में दशकों से रह रहे लोगों को भी गैर कृषक होने के कारण जमीन खरीदने से रोका जा रहा है। संबंधित कानून में प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार की स्वीकृति के बिना गैर कृषक प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकते। अदालत ने कहा कि वर्ष 1972 से पूर्व से राज्य में रह रहे लोगों को यहां कृषि भूमि खरीदने के लिए धारा 118 की अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में धारा 118 के मनमाने ढंग से इस्तेमाल की बड़े पैमाने पर शिकायतें हैं। कांग्रेस की सरकार हो चाहे भाजपा की, सभी ने अपने चहेते गैर हिमाचलियों तक को प्रदेश में भूमि खरीदने की अनुमति दी, जबकि दशकों से यहां में रह रहे लोगों को रोका जा रहा है।
इस समय हिमाचल प्रदेश टिनेंसी एंड लैंड रिफर्म्स एक्ट- 1972 के तहत गैर कृषक हिमाचली को जमीन खरीदने के लिए धारा 188 के तहत सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। एक्ट में यह प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि हिमाचल की कृषि भूमि को बचाया जा सके। अब देखना यह है कि सरकार अदालत के आदेश को मानती है या इसके खिलाफ अपील करेगी।