पिथौरागढ़। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में विकास की रीढ़ माने जाने वाले नेपाली श्रमिकों के लिए नोटबंदी बड़ी मुसीबत बनकर आई है। पिथौरागड़ में तो स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि श्रमिकों ने बैठक कर ‘लौट चलो” का नारा बुलंद कर दिया है। इन दिनों देश में कैशलेस व्यवस्था के प्रचार से भी नेपाली श्रमिक आशंकित हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय बैंकों में नेपाली श्रमिकों का खाता नहीं खुल सकने के कारण इनका सारा लेन देन कैश में ही होता है तथा गाढ़े खून पसीने की कमाई ये लोग अपने पास ही रखते हैं। परिणाम स्वरूप नोटबंदी की घोषणा के बाद ये लोग अपने पुराने नोट बैंकों में नहीं बदलवा पाए और इन्हें औने पौने दामों में नोट बदलवाने पड़े। क्षेत्र में ही सैकड़ों श्रमिकों की खून पसीने की कमाई डूब जाने की खबरें हैं।
प्रवासी नेपाली कल्याणकारी संगठन की एक बैठक यहां अध्यक्ष हिकमत सिंह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें सभी वक्ताओं ने नोटबंदी के कारण नेपाली श्रमिकों की बढ़ती समस्याओं पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि क्षेत्र में ही सैकड़ों नेपाली मजदूरों ने वर्ष भर मेहनत कर थोड़ी बहुत पूंजी जमा की। भारतीय बैंकों में खाता नहीं खुलने के कारण ये अपनी जमा पूंजी को नए नोटों में नहीं बदल सके और उन्हें मजबूरन औने-पौने दामों में अपने पुराने नोट बदलवाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में अब कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे तो नेपाली मजदूरों को यहां पैसा मिलना ही मुश्किल हो जाएगा।
बैठक में ‘नेपाल वापस चलो’ का नारा देते हुए वक्तओं ने कहा कि दोनों देशों की सरकारों को श्रमिकों की इस समस्याओं का कोई ठोस समाधान निकालना चाहिए अन्यथा श्रमिकों के पास वापस लौटने के सिवा और कोई चारा ही नहीं बचेगा।
बैठक में अध्यक्ष हिकमत सिंह के अतिरिक्त नवीन कुमार, दुर्गादत्त बडू, नवीन कुमार, गणेश साउद, नवराज भाट, हीरा कुंवर, आमीर कुंवर, विर्ख बहादुर, जस्मा देवी, मदन मौजूद रहे।