नई टिहरी। प्रकृति एवं पक्षी प्रेमियों के लिए यहां अच्छी खबर है। टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक में स्थित देवलसारी के जंगल में उड़ने वाली गिलहरी (फ्लाइंग स्क्वैरल) देखी गई है। बीते अक्तूबर माह में वन विभाग की टीम ने इस दुर्लभ प्रजाति की इस गिलहरी को देखा और अब विभाग तुरंत इसके संरक्षण की तैयारी में जुट गया है। यह दुर्लभ गिलहरी बेहद कम स्थानों पर दिखती हैं।
समुद्रतल से 6500 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवलसारी रेंज का जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। थत्यूड़ से लगभग 30 किमी दूर बंगसील गांव के पास 12 हेक्टेयर क्षेत्रफल में देवलसारी का जंगल फैला हुआ है। यह देवदार, चीड़ व बांज का घना जंगल है। गत चार अक्तूबर को मसूरी वन प्रभाग के डीएफओ साकेत बडोला अपनी टीम के साथ देवलसारी के जंगल के दौरे पर थे। इस दौरान रात को वन विभाग के गेस्ट हाउस के पास फ्लाइंग स्क्वैरल दिखने से वनकर्मी अचरज में पड़ गए। गिलहरी की फोटो लेने का प्रयास किया गया, लेकिन तब तक वह आंखों से ओझल हो चुकी थी।
खुद डीएफओ बडोला ने फ्लाइंग स्क्वैरल को देखा तो उसके बारे में जानकारी जुटाई। वनकर्मियों ने बताया कि उन्होंने कई बार उड़ने वाली गिलहरी इस जंगल में देखी है। इसके बाद डीएफओ ने अपने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। विभाग अब यहां फ्लाइंग स्क्वैरल के कुनबे की जानकारी जुटा रहा है। साथ ही उसके संरक्षण के लिए भी योजना बनाई जा रही है। देवलसारी रेंज के रेंजर अनूप सिंह राणा ने बताया कि गिलहरी के वासस्थल के पास नजर रखी जा रही है।
हवा में छलांग लगाती है उड़न गिलहरीः फ्लाइंग स्क्वैरल उड़ती नहीं, बल्कि हवा में छलांग लगाती है। इससे लगता है कि यह उड़ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक फ्लाइंग स्क्वैरल के शरीर में दायीं और बायीं तरफ अतिरिक्त त्वचा होती है, जो छलांग लगाते समय फैल जाती है। साथ ही पैरों में भी त्वचा की झिल्ली होने के कारण यह काफी देर तक हवा में रह पाती है। यह नीचे से ऊपर की तरफ छलांग नहीं मार सकती, बल्कि सिर्फ ऊंचाई से नीचे की तरफ छलांग मारती है। यह समुद्रतल से दो हजार मीटर की ऊंचाई तक मिलती है। रात को ही यह अपने घोंसले से बाहर आती है।
स्वामी रामतीर्थ परिसर टिहरी के जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एनके अग्रवाल के मुताबिक भारत में फ्लाइंग स्क्वैरल नार्थ-ईस्ट के जंगलों के अलावा उत्तराखंड स्थित कार्बेट नेशनल पार्क में भी देखी गई है। लेकिन देवलसारी के जंगल भी इसके लिए मुफीद हैं।
मसूरी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी साकेत बडोला ने बताया कि- “अक्टूबर में मैंने टीम के साथ देवलसारी के जंगल में फ्लाइंग स्क्वैरल देखी थी। इसके संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यहां पर फ्लाइंग स्क्वैरल का दिखना जैव विविधता के लिए शुभ संकेत है।” (वरिष्ठ पत्रकार अनुराग उनियाल की मीडिया रिपोर्ट से साभार)