देहरादून। उत्तराखंड में टिहरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अप्रत्याशित जीत ने कांग्रेस को सकते में डाल दिया है। मुख्यमंत्री विजय
उप चुनाव जीतने के बाद राज्यलक्ष्मी शाह कुछ देर तक तो प्रतिक्रिया ही नहीं दे सकीं। कुछ समय बाद संभलने पर उन्होंने कहा, ‘मुझे इस परिणाम की कतई उम्मीद नहीं थी। यह जीत अप्रत्याशित है और प्रदेश में महंगाई से त्रस्त महिलाओं को समर्पित है। दिल्ली जाने पर मेरी पहली लड़ाई महंगाई के खिलाफ ही होगी।’
टिहरी लोकसभा सीट विजय बहुगुणा के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी। उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद बहुगुणा ने सितारगंज विधानसभा क्षेत्र से उप चुनाव जीता था। टीहरी में कांग्रेस की यह पराजय काफी अर्थपूर्ण मानी जा रही है। देश भर में इस चुनाव की चर्चा हो रही है और पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनावों में भी भाजपा इसे खूब भुना रही है।
टिहरी लोकसभा सीट पर लंबा समय तक राजपरिवार का कब्जा रहा है। राज्यलक्ष्मी शाह के ससुर मानवेंद्र शाह आठ बार सांसद चुने गए। शाह के निधन के बाद इस सीट के लिए 2007 में उप चुनाव हुए, जिसमें माला राज्यलक्ष्मी के पति मनुजेंद्र शाह को हार का सामना करना पडा़ था। टिहरी राजपरिवार की राजमाता कमलेन्दुमति शाह भी यहां से लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं। आज साठ साल बाद फिर से इसी परिवार की बहू लोकसभा में पहुंच गईं।
पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भाजपा की जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि यह राज्य में कांग्रेस के कुशासन का प्रमाण है।
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