किन्नौर। भौगोलिक एवं सांस्कृतिक भिन्नताओं वाले हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में लोगों के कानूनी अधिकारों में भी भिन्नताएं देखने को मिलती हैं। कहीं बहुपत्नी
किन्नौर की महिलाओं ने महिला कल्याण परिषद किन्नौर के बैनर तले गत दिवस भी प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह से भेंट कर उन्हें अपनी मांगों से संबंध में एक ज्ञापन दिया। परिषद की अध्यक्ष कुमारी रत्न मंजरी ने राज्यपाल को बताया कि वर्ष 1905 में वाजिब उल अर्ज में दूसरे जनजातीय इलाकों में संशोधन हुआ है, लेकिन किन्नौर और लाहुल स्पीति में नहीं। परिणाम स्वरूप यहां महिलाओं को पैतृक संपत्ति में कोई हक नहीं मिल रहा है।
रत्न मंजरी ने बताया कि इस कानूनी विसंगति के कारण जनजातीय क्षेत्रों में अकसर महिलाओं को शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। बिन ब्याही महिला हो चाहे किसी कारण मायके में रहने के लिए मजबूर विवाहिता, उन्हें अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलने के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अकसर घरों में उनकी हैसियत बंधुआ नौकरों की सी हो जाती है।
कुमारी रत्न मंजरी ने बाद में माडिया से बातचीत करते हुए बताया कि पीडि़त जनजातीय महिलाएं अपने जीवन की सुरक्षा के लिए जमीन जायदाद में बराबर का मालिकाना हक मांग रही हंै और इसके लिए लम्बे समय से लड़ाई लड़ रही हैं। राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी इस समस्या को वे उच्च स्तर तक पहुंचाएंगी।
जनजातीय महिलाओं को नहीं मिलता पैतृक संपत्ति में हक
Advertisement