उत्तरकाशी। प्राकृतिक आपदा ने भटवाड़ी कस्बे को उजाड़ कर रख दिया है। स्थानीय उत्पादों का व्यापारिक केंद्र रहे भटवाड़ी में कभी खूब चहल पहल रहती थी। लेकिन
वर्ष 2010 में 12 अगस्त को भटवाड़ी बाजार की जमीन में कुछ ऐसी दरार पड़ी कि इसने पूरे इलाके का चैन छीन लिया। कुछ ही दिनों के भीतर भटवाड़ी में मकान ढहने लगे और करीब 40 परिवारों को घर छोडऩे पड़े। इसके बाद कुछ दिन सब शांत रहा, लेकिन तीन अगस्त, 2012 की रात फिर कहर बरपा। भागीरथी नदी की बाढ़ से भटवाड़ी कस्बे के नीचे जबरदस्त भू-कटाव हुआ और करीब तीन किलोमीटर का हिस्सा बुरी तरह दरक गया। इस बार चढ़ेथी और भटवाड़ी में गंगोत्री हाईवे का बड़ा हिस्सा बुरी तरह धंस गया। इस पूरे भूभाग का भागीरथी की ओर धंसाव लगातार जारी है। इस स्थिति के कारण चड़ेथी और भटवाड़ी बाजार में 63 व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए। तहसील परिसर भी भूस्खलन की चपेट में आ गया। लिहाजा तहसील को एनटीपीसी दफ्तर में शिफ्ट करना पड़ा। हवा में अटका जीएमवीएन का गेस्ट हाउस, तबाह हुए भटवाड़ी गांव व गबर कालोनी के हालात देखते हुए अब अधिकांश लोग जल विद्युत निगम की कालोनी में शरण लिए हुए हैं।
भटवाड़ी बाजार पर निर्भर नाल्ड और टकनौर क्षेत्र के करीब साठ गांव भी इस स्थिति का खामियाजा भुगत रहे हैं। आलू, राजमा और ऊंचाई वाले इलाकों की नकदी फसलों की व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र होने के कारण यह कस्बा पहले हमेशा आबाद रहा था। गंगोत्री धाम यात्रा का अहम पड़ाव होने के कारण इन दिनों यहां देशी विदेशी यात्रियों की चहल पहल बनी रहती थी। लेकिन अब यहां वीरानी ही नजर आती है।
उत्तरकाशी के डीएम आर. राजेश कुमार कहते हैं, ”भटवाड़ी की स्थिति काफी संवेदनशील है। रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है। इस क्षेत्र को बचाने के लिये भूगर्भीय अध्ययन कराकर विशेष योजना तैयार की जाएगी।”
प्राकृतिक आपदा ने उजाड़ दिया भटवाड़ी कस्बा
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