देहरादून। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पोषक तत्वों से भरपूर जंगली सब्जियां आजकल मैदानी इलाकों से आयातित सब्जियों को कड़ी टक्कर दे रही हंै। पोषक गुणों के चलते लोग इन सब्जियों को हाथों हाथ ले रहे हंै, जिस कारण यह सब्जियां ग्रामीणों के लिए अच्छी आय का जरिया भी बनी हुई हैं।
समुद्र तल से पंद्रह सौ से तीन हजार मीटर की ऊंचाई और पानी की अधिकता वाले क्षेत्रों में उगने वाली यह जंगली सब्जियां बेहतरीन स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी हैं। इन दिनों विभिन्न छोटे-बड़े बाजारों में लेंगड़ा, जंगली मशरूम, डिंडालु, पिंडालु, जरगू, मरछोला, गुच्छी, कौंय्या, लाबक्या आदि जंगली सब्जियां पहुंच रही हैं, जो मैदानी इलाकों से आने वाली सब्जियों को कड़ी टक्कर दे रही हंै। नदी-नालों एवं अन्य नम जगह उगने वाले लेंगड़ा (डिप्लीजियम स्पुलेंटम) की मांग सर्वाधिक है। ढेरों औषणीय गुणों वाली यह सब्जी ग्रामीणों को अच्छा मुनाफा दे रही है। प्राकृतिक रूप से उगने के चलते इस पर ग्रामीणों को कोई खास मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है।
वैसे इन जंगली सब्जियों की सही पहचान होना भी आवश्यक है अन्यथा अकसर जहरीली सब्जियां भी चुन ली जाती हैं जो खाने में घातक साबित हो सकती हैं। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. एमपीएस परमार बताते हैं कि जानवर जहरीली सब्जियों की पहचान आसानी से कर लेते हैं, लेकिन स्थानीय लोग भी इसके बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं। जहरीली प्रजातियों की बनावट आमतौर पर बाजार में बिकने वाली जंगली सब्जियों से काफी भिन्न होती है। ठंडे पानी के साथ धोने और अच्छी तरह पकाने के बाद इन सब्जियों में मौजूद टॉक्सिक काफी मात्रा में खत्म भी हो जाते हंै।
पूर्ण रूप से जैविक ये जंगली सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इनमें आयरन तत्वों की भरमार होती हैं, विटामीन सी और मिनरल्स भी अधिक होते हैं। कैल्शियम और फाईबर युक्त ये सब्जियां गर्मियों में शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में भी सहायक होती हैं।