देहरादून। उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके उत्तराधिकारियों के समक्ष दो वक्त की रोटी
देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों को केंद्र सरकार से राजनैतिक पेंशन दी जाती रही है। ऐसे अधिकांश परिवारों की आजीविका इसी पेंशन से चलती है। लेकिन पिछले छह माह पूर्व अचानक उनकी पेंशन बंद हो गई और अभी तक भी नहीं मिल पाई है।
उत्तराखंड स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन के सचिव राजेश मोहन उप्रेती दुखी मन से कहते हैं कि सरकारों की नजर में देश की आजादी की आज कोई कीमत नहीं रह गई है तथा वह स्वतंत्रता सेनानियों को अब बोझ मानने लगी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश व केंद्र सरकार को संगठन की ओर से कई बार ज्ञापन भेजे गए, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
सूत्रों का कहना है कि सात माह पूर्व केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली पेंशन कोषागार और उप कोषागार के बजाए राष्ट्रीयकृत बैंकों से दिए जाने के निर्देश जारी किए थे। निर्देश मिलने पर कोषागारों ने पेंशन देनी बंद कर दी, लेकिन अज्ञात कारणों से राष्ट्रीकृत बैंकों से पेंशन शुरू नहीं हो पाई है।
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