देहरादून। पहाड़ी क्षेत्र के नाम पर पृथक हुए उत्तराखंड में सरकारें पता नहीं क्यों अभी तक भी पहाड़ों की सुध नहीं ले पाई हैं। टिहरी बांध के पास भागीरथीपुरम में 6 वर्ष पूर्व देश का पहला हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज खोला गया था, लेकिन संबंधित कोर्स आज तक भी शुरू नहीं हो पाया हैं। अन्य शिक्षण संस्थानों की हालत भी दयनीय है। वहां न केवल शैक्षणिक स्टॉफ का आभाव है, बल्कि सैकड़ों स्कूल भवन ढहने की कगार पर खड़े हैं।
अकेले रुद्रप्रयाग जिले में ही 87 खस्ताहाल स्कूल भवन पुनर्निर्माण या मुरम्मत के लिए सरकार की बाट जोह रहे हैं। इनमें अधिकांश भवन ऐसे हैं जो कभी भी ढह कर बड़ी अनहोनी को जन्म दे सकते हैं।
विभागीय जांच रिपोर्ट के अनुसार जिले में 87 स्कूल भवन अत्यंत खस्ता हालत में हैं। इनमें से 35 भवनों का पुनर्निर्माण होना है, जबकि 52 भवनों की व्यापक मुरम्मत की जरूरत है। विभाग ने कई बार रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। इन स्कूलों में हजारों छात्र जान जोखिम में डाल कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।
शिक्षा के प्रति सरकार की इस बेरुखी के कारण ही जिले में लगभग दो दर्जन विद्यालयों में छात्र संख्या शून्य होने के कारण ताले लटक चुके हैं। लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों से हटाकर महंगे निजी स्कूलों में पढ़ाने के लिए मजबूर हैं।रूद्रप्रयाग जिले की तो यह मात्र एक मिसाल है, वास्तव में राज्य के सभी दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था की यही हालत है।
रुद्रप्रयाग के जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक), डॉ. विद्याशंकर चतुर्वेदी कहते है कि जिले में 35 विद्यालयों के पुनर्निर्माण एवं 52 विद्यालयों के मुरम्मतीकरण का प्रस्ताव शासन को कई बार भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक बजट नहीं मिल पाया है। बजट मिलते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
नाम का हॉइड्रो इंजीनियरिंग कालेजः टिहरी गढ़वाल के भागीरथीपुरम में वर्ष 2011 में देश के पहले हॉइड्रो इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना बड़े उत्साह से की गई थी। उस समय दावा किया गया था कि इस कालेज से पासआउट होकर छात्रों को राज्य में हाइड्रो विद्युत परियोजनाओं में रोजगार के सुनहरे अवसर प्राप्त होंगे, लेकिन सरकारें बीते 6 वर्षों में कालेज में संबंधित कोर्स तक आरंभ नहीं कर पाई। अभी तक वहां सामान्य विषयों की ही पढ़ाई हो रही है।
कालेज के निदेशक प्रो. जीएस तोमर कहते हैं कि उन्होंने कालजे में हॉइड्रो इंजीनियरिंग ब्रांच खोलने के लिए एआइसीटीई को प्रस्ताव भेज रखा है। शीघ्र ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।