शिमला। हिमाचल प्रदेश में भाजपा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करेगी, बल्कि वीरभद्र सिंह का मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे से ही किया जाएगा। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर चुनाव जीतने के बाद ही किसी ‘पात्र’ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जाएगा। यह ‘पात्र’ कोई ऐसा व्यक्ति भी हो सकता है, जो मुख्यमंत्री पद के लिए कभी चर्चा में भी न रहा हो। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभाओं के चुनाव से पूर्व भी कौन सोच सकता था कि आदित्यनाथ योगी और त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बनेंगे?
राजधानी में रविवार को संपन्न भाजपा कार्यसमिति की बैठक में उक्त संकेत मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बन गई है। इस समय प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं तथा संगठन भी ज्यादातर इन्हीं दो ध्रुवों में बंटा हुआ है।
हाईकमान की इस लाइन से कार्यकर्ता ‘क्या करें- क्या न करें’ की स्थिति में आ गए हैं। दोनों ही धड़ों से जुड़े लोगों में यह आशंका घर करती जा रही है कि कहीं ऐसा ना हो, वे दोनों आपसे में लड़ते रहें और ‘मौज’ कोई तीसरा उड़ा ले जाए। हो सकता है आने वाले समय में यह मांग उठाई जाए कि मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव से पूर्व ही घोषित हो।
भाजपा कार्यसमिति में यह संकेत भी दिया गया कि विधानसभा चुनाव में टिकट केवल जीत सकने वाले उम्मीदवारों को ही दिए जाएंगे। वो चाहे भाजपा के हों या फिर चाहे कांग्रेस से आए लोग। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने साफ कहा कि, “टिकट की पात्रता के लिए भाजपा का बड़ा नेता होना काफी नहीं है। टिकट जिताऊ उम्मीदवार को ही दिए जाएंगे।”
निचले स्तर पर संगठन में मुख्यमंत्री पद को लेकर ही नहीं, बल्कि बाहर से आने वाले नेताओं को टिकट दिए जाने को लेकर भी भारी नाराजगी है। राजधानी के निकट कुछ क्षेत्रों में भी पार्टी कॉडर ने संगठन को साफ कह दिया है कि यदि बाहरी व्यक्ति को टिकट दिया गया तो वे काम नहीं करेंगे। कुछ मामलों में संगठन दबाव में भी बताया जा रहा है। लेकिन क्योंकि कांग्रेसियों को तोड़ कर पार्टी में शामिल करना भाजपा की राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा है, इसलिए कार्यकर्ताओं को यह सहन करना ही पड़ेगा।
कार्यसमिति में बाहरी उम्मीदवारों के प्रति कार्यकर्ताओं में उपजने वाले आक्रोश को मनोवैज्ञानिक तरीके से शांत करने का डेमोंस्ट्रेशन भी हुआ। इसकी एक बानगी देखिए…
राष्ट्रीय महामंत्री राम लाल ने पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रश्न किया- “शिमला में जब दूसरे दलों के पार्षदों के सहयोग से नगर निगम पर कब्जा हुआ तो आपको कैसा लगा?”
उपस्थित पदाधिकारियों ने कहा- “अच्छा लगा।”
राम लाल ने फिर कहा- “गुजरात में कांग्रेस के पांच विधायक भाजपा में आए तो कैसा लगा?”
सभी ने एक स्वर में कहा- “अच्छा लगा।”
महामंत्री ने कहा- “यूपी में सपा और बसपा के तीन एमएलसी भाजपा में आए तो कैसा लगा?”
सभी ने नारा लगाया- “अच्छा लगा।”
राम लाल ने कहा- “अब हिमाचल में भी ऐसा ही होगा। लेकिन कार्यकर्ता इससे ये न समझें कि उनकी प्राथमिकता कम हो जाएगी।”
जवाब में- तालियां, तालियां और तालियां।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती, सांसद- शांता कुमार, अनुराग ठाकुर, वीरेद्र कश्यप व राम स्वरूप शर्मा सहित तमाम विधायक एवं पदाधिकारीगण मौजूद थे।