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शांता समर्थकों के निशाने पर कुछ अधिकारीगण भी

धर्मशाला। कांगड़ा जिले में अपनी ही सरकार में राजनीतिक प्रताडऩा का मामला उठाने वाले भाजपाइयों के निशाने पर कुछ अधिकारीगण भी

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हैं। इनमें एक जिलाधिकारी और एक लोकसंपर्क विभाग के अधिकारी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। हाल ही में पूर्व मंत्री किशन कपूर ने यहां सार्वजनिक तौर पर मीडिया से कहा था कि भाजपा की सरकार में सत्ता के कुछ दलालों ने न सिर्फ चुने हुये प्रतिनिधियों और कर्मठ कार्यकर्ताओं को अपमानित किया बल्कि शांता कुमार से जैसे राष्ट्रीय नेता को भी जलील किया। श्रीकपूर के इस बयान को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने अनुशासनहीनता का मामला करार दिया है।
श्रीकपूर जब प्रेम कुमार धूमल और उनके झंडावरदारों पर सीधे हमले कर रहे थे, तो एक तरह से उनके दिल की भड़ास कांगड़ा के प्रशासन पर भी निकल रही थी। आरोप है कि पार्टी और सरकार के स्तर पर प्रदेश में नजरअंदाज किये जा रहे किशन कपूर और रमेश धवाला की खिलाफत में कांगड़ा के अफसरों ने भी कोई कसर बाकि नहीं रखी। ये अफसर इन वजीरों की एक कान से सुनते थे तो दूसरे से बाहर निकाल देते थे। तब के एक जिला अधिकारी के बारे में माना जाता था कि वे सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री रविंद्र रवि के दरबार की रौनक बढ़ाना अपनी शान तो उद्योगमंत्री किशन कपूर और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला के पास जाना अपनी तोहीन समझते थे। शायद यही वजह रही कि उन्होंने यहां मिनी सचिवालय में रमेश धवाला और किशन कपूर के पास जाने की शायद ही कभी जहमत उठाई हो। इन मंत्रियों के खिलाफ बाकी कसर लोक संपर्क विभाग के एक अधिकारी ने पूरी की। आरोप लगा कि प्रचार के मामले में उन्होंने रमेश धवाला और किशन कपूर को कभी भी महत्व नहीं दिया, जबकि सभी नियमों को ताक पर रख कर विभाग की ओर से रविंद्र सिंह रवि के राजनीतिक ई मेल भी मीडिया को जारी किये। तब यह मुद्दा उठा था कि एक अधिकारी ने ही कांगड़ा के चार मंत्रियों का आपस में बांट दिया है।
जन संपर्क विभाग के इस अधिकारी के खिलाफ शिष्टाचार में भेदभाव बरतने के आरोप सामने आने पर किशन कपूर ने विभाग के निदेशक से भी शिकायत की थी कि उन्हें और रमेश धवाला को जानबूझकर मीडिया में कमजोर करने की साजिश इस अफसर की ओर से हो रही हैं। श्रीकपूर ने ‘राजनीतिक अफसर’ करार देते हुए इसे फौरन यहां से बदलने की मांग उठाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
बताया जाता है कि जनसंपर्क विभाग का यह अधिकारी आरक्षित सोलन हलके से भाजपाई टिकट के तलबगारों में रहा है। डीलिमिटेशन के चलते जब बिंदल ने नाहन कूच किया तो सोलन की टिकट उसके निशाने पर थी। नतीजतन धूमल और रवि की ठकुरसुहाती में उस अफसर ने दिन-रात तो एक किये ही साथ ही धूमल समर्थक नेताओं को खुश करने के फेर में अखबारों के लिए राजनीतिक बयान लिखे और मेल भी किये। इसमें जिले के दूसरे मंत्रियों को नीचा दिखाया गया। बावजूद इसके वे टिकट का जुगाड़ नहीं कर पाये। इन दिनों वे प्रो. प्रेम कुमार धूमल को कोसते हुए कांग्रेस सरकार में नए बने मंत्री सुधीर शर्मा के दरबार में दंड बैठकें कर रहे हैं।

हिम न्यूज़पोस्ट.कॉम

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