कुल्लू। बच्चो ! स्कूल क्या करने जाते हो? …सर, खिचड़ी खाने। उपमंडल बंजार की शाघड़ पंचायत में राजकीय
ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि विभाग ने अगस्त 2013 में स्कूल के एकमात्र शिक्षक का तबादला तो कर दिया, लेकिन बदले में आज तक किसी भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की। औपचारिकता पूरी करने के लिए बीच-बीच में दूसरे स्कूलों से बारी- बारी अध्यापकों को डेपुटेशन पर भेजा जाता है, लेकिन पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाया।
स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष चमन नेगी और अन्य सदस्यों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को सिर्फ खिचड़ी खिला कर संतुष्ट किया जा रहा है। डेपुटेशन से तो दोनों स्कूलों के बच्चों का भविष्य अधर में लटक रहा है। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को मजाक बना कर रख दिया है। लोग अब इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे।
स्थानीय पंचायत के उपप्रधान श्रीपत ठाकुर सहित ग्रामीणों- इंद्र सिंह, नारायण सिंह, जगत राम, नरपत, खीमी राम, फूला देवी और जावित्री देवी का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा प्रायोजित कार्यशालाओं में बार-बार शिक्षा का अधिकार अधिनियम की दुहाई दी जाती है, लेकिन स्कूल वर्षों बिना शिक्षकों के चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार व विभागीय उपेक्षा के चलते प्राथमिक स्कूल लपाह
के बच्चों का भविष्य चौपट हो चुका है। ग्रामीण मन मसोस कर रहने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि इस घोऱ उपेक्षा के लिए ग्रामीण सत्ताधीशों को कभी माफ नहीं करेगी।
बंजार खंड के प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी बलवंत नेगी से मीडिया ने इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि विभाग ने इस स्कूल के लिए नियमित अध्यापक के आदेश दे दिए हैं। उम्मीद है शीघ्र ही इस स्कूल को अध्यापक मिल जाएगा।
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