हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने मौलिक कत्र्तव्यों के महत्व पर बल देते हुए लोगों का आह्वान किया कि वे नागरिकों में इन कर्तव्यों के बारे में जागरुकता लाएं ताकि संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार किया जा सके। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शनिवार को यहां हिमाचल प्रदेश विधिक प्राधिकरण द्वारा सेवा संस्था, पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी ऑफ इण्डिया के शिमला चैप्टर और भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से ”वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना के विकास” पर आयोजित जन संवाद की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
विख्यात वैज्ञानिक, शिक्षाविद् एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. यश पाल ने इस अवसर पर देश में शिक्षा प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया ताकि विद्यार्थियों पर अनावश्यक दबाव को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश करने की आवश्यकता है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अन्तर को समझने की आवश्यकता है। नयी सोच एवं लचीलेपन की वर्तमान परिपेक्ष्य में नितांत आवश्यकता है और शिक्षा प्रणाली में हमेशा बेहतर बदलाव स्वीकार्य होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए विद्यार्थियों पर अनावश्यक दबाव उचित नहीं है, क्योंकि ज्ञान देने से नहीं, बल्कि सृजन से विकसित किया जा सकता है। शिक्षक-विद्यार्थी सम्बन्ध नए ज्ञान का सृजन कर सकते हैं। इंटरनेट एवं सूचना प्रौद्योगिकी के अन्य माध्यमों के प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रौद्योगिकी का उपयोग सकारात्मक नहीं है, क्योंकि विद्यार्थियों को स्वयं सोचने-समझने की शक्ति विकसित करनी चाहिए और विभिन्न परिणामों के साथ सामने आना चाहिए।
प्रो. यशपाल ने कहा कि समग्र विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र विशेष पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय सभी विषयों का अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानवता के लिए आपसी समन्वय अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इससे हम जीवन में बहुत कुछ सीखते हैं। मानवता एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास साथ-साथ होता है, क्योंकि यह व्यक्तित्व विकास के ही दो अलग पहलू हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के बढ़ते कोचिंग केन्द्र हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए शुभ संकेत नहीं हैं, क्योंकि यह केन्द्र विद्यार्थियों की सोच को प्रभावित कर रहे हैं।
इससे पूर्व प्रदेश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरबी मिश्रा ने कहा कि प्राधिकरण जरूरतमंद एवं समाज के पात्र वर्गों, जिनमें महिलाएं, बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों, जिनकी वार्षिक आय दो लाख रुपये से कम है, को नि:शुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने के प्रति कृतसंकल्प है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अभिभावकों एवं शिक्षकों को विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करने और ज्ञान के प्रति जिज्ञासा पर बल देना चाहिए ताकि बच्चे अपनी समस्याओं को बेहतर तरीके से सुलझा सकें।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल, सेवा न्यास की अध्यक्ष मीनाक्षी चौधरी, सेवा न्यास के संरक्षक एवं वयोवृद्ध पत्रकार वेप्पा राव और पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ इंडिया के शिमला चैप्टर के अध्यक्ष बीडी शर्मा इस अवसर पर उपस्थित थे।