चंबा जिले में जनजातीय उपमंडल पांगी के पांच राजस्व गांवों को सेचूनाला वन्य प्राणी अभ्यारण्य स्थल से बाहर निकालने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। सरकार के निर्देश पर चंबा के उपायुक्त शरभ नेगी ने इस अभ्यारण्य के अधीन गांवों का दौरा किया और स्थानीय लोगों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वन कर्मचारियों से बातचीत कर आवश्यक जानकारी हासिल की। इससे पूर्व हाल ही में स्थानीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष तुलसीराम ने भी क्षेत्र का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनी थीं और प्रभावित गांवों को अभ्यारण्य स्थल से बाहर निकालने के संबंध में रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा चंबा के उपायुक्त को सौंपा।
माना जा रहा है कि यदि कहीं राजनीति आड़े नहीं आई तो हिलूटवान, उदीन, सन्धारी, सेचूनाला, चस्क और मूर्च आदि राजस्व गांवों की दशकों से चली आ रही यह मांग पूरी हो जाएगी।
सेचूनाला अभ्यारण्य को पहले शिकारगाह के रूप में जाना जाता था। रियासतकाल और उसके बाद भी काफी समय तक यहां खूब शिकार होता रहा। यहां स्नोलेपड, बाघ, आईबेकस, काला व लाल भालू, कस्तूरी मृग, मोनाल, चकोर, गिद्ध समेत कई प्रजाति के पशु पक्षी पाए जाते हैं। इस 330 किलोमीटर वर्गमीटर में फैले क्षेत्र में बसे गांवों को पहले वनों से बालन व चरागाह आदि के परंपरागत अधिकार प्राप्त थे। वर्ष 1982 में प्रदेश सरकार ने वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम-1974 के तहत इस क्षेत्र को वन्य प्राणी अभ्यारण्य घोषित कर दिया तो ग्रामीण अपने परंपरागत हकवर्तन से वंचित हो गए। लोगों के लिए जंगल में शिकार करना तो दूर वहां से लकड़ी व घास का एक तिनका निकालना भी मुश्किल हो गया। अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण वहां सड़क और बिजली की सुविधा जैसे कार्य भी नहीं हो पाए। इन गांवों की लगभग 1430 की आबादी यहां एक तरह से बंदी बन कर रह गई है। इस कठिनतम क्षेत्र में लोगों को वाहन योग्य सड़क तक पहुंचने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है। जब भी कोई राजनेता या अधिकारी इस क्षेत्र का दौरा करता है तो ग्रामीणों की एक ही मांग रहती है कि उनके गांवों को अभ्यारण्य क्षेत्र से बाहर निकाला जाए ताकि वे भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
प्रदेश सरकार ने अब इस दिशा में प्रयास शुरू दिए हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार आबादी वाले क्षेत्र को अभ्यारण्य स्थल से बाहर निकालने के लिए वहां नया क्षेत्र जोडऩा जरूरी है। इसके लिए यहां सिंधानीधार का 113.27 वर्ग किलोमीटर का नया क्षेत्र जोड़ा जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष तुलसीराम ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही उनके गांवों को अभ्यारण्य क्षेत्र से बाहर लाया जाएगा और वहां सड़कों और बिजली जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।