ऊना (अंब)। शिक्षा व्यवस्था को गर्त में जाते देखना वास्तव में ही बहुत पीड़ादायक होता है। हिमाचल राज्य शिक्षा बोर्ड
हाल ही में वरिष्ठ माद्यमिक स्कूल बेहड़ जसवां के दसवीं के नतीजे आए तो छात्रों सहित अध्यापकों के भी होश फाख्ता हो गए। दसवीं में संस्कृत विषय में मेहनती व योग्य विद्यार्थियों के जीरो से लेकर तीन-तीन अंक थे। सभी हैरान परेशान थे। शिक्षक जगदेव सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विद्यार्थियों को तुरंत पुनर्मूल्याकंन कराने के लिए प्रेरित किया। स्कूल के 17 विद्यार्थियों ने आवेदन भरे और जब पुनर्मूल्यांकन के नतीजे आए तो सभी भौंचक्के रह गए। क्योंकि किसी ने भी आज तक पहले ऐसा न देखा था सुना था। छात्र विशाल के अंक 0 से बढ़ कर 59, पूजा के 0 से 78, साक्षी के 03 से 90, आकाश 17 से 80, संगीता के 19 से 92, पूजा के 45 से 99 और सिमरन के अंक 43 से बढ़ कर 95 तक पहुंच गए। इसी प्रकार अन्य विद्यार्थियों के अंकों में भी भारी अंतर पाया गया।
स्कूल प्रधानाचार्य पवन शर्मा कहते हैं कि पुनर्मूल्यांकन की रिपोर्ट आने के बाद उनके स्कूल में संस्कृत विषय के अंकों को लेकर भारी गड़बड़ी पाई गई है। इसके चलते उनके स्कूल के दो बच्चे टॉप टेन की ख्याति से वंचित रह गए।
स्कूल के संस्कृत अध्यापक ने बताया कि कुछ विद्यार्थी जो गरीबी के चलते पुनर्मूल्यांकन नहीं करवा पाए, उनका क्या कसूर है? वे इस विषय में फेल हैं और महसूस कर रहे हैं कि उन्हें बोर्ड की लापरवाही की सजा मिली है। उनके अंकों में भी भारी गड़बड़ी हो सकती है।
हिमाचल प्रदेश राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद से बृजमोहन शर्मा, शिव कुमार, किशन दत्त, सुरेंद्र जोशी, शिव कुमार और रमेश चंद्र ने शिक्षा बोर्ड की इस लापरवाही की कड़ी निंदा करते हुए मांग की है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। अन्यथा बोर्ड की परीक्षा व्यवस्था मजाक बनकर रह जाएगी।
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