शिमला। सरकार और नगर निगम से शहर में कूड़े और पानी के बिलों को तर्कसंगत बनाने और कोरोना काल में इन बिलों को पूरी तरह माफ करने की मांग को लेकर शिमला नागरिक सभा 21 सितंबर को निगम कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करेगी। सभा ने इस प्रदर्शन को प्रभावी बनाने के लिए शहर भर में पोस्टर अभियान शुरू किया है।
शिमला नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण शहर में निजी क्षेत्र, पर्यटन उद्योग एवं अन्य संस्थानों में कार्यरत हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं, किरायेदार गांवों को लौट गए हैं और दुकानदारों का कारोबार भी ठप पड़ा है। ऐसे में भवन मालिकों को कूड़े और पानी के भारी भरकम बिलों को जमा कराना संभव नहीं रह गया है। इसलिए सरकार और नगर निगम को चाहिए कि कोरोना काल के इन बिलों को पूरी तरह माफ कर पीड़ितों को राहत दी जाए।
उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन कूड़े, पानी और सीवरेज के बिल बहुत ही मनमाने ढंग से जारी कर रहा है। इसमें बहुत विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना तुरंत जरूरी है।
सभा के अनुसार बिलों में विसंगतियां निम्न प्रकार से हैं-
- घरेलु उपभोक्ताओं से कूड़े का बिल 88 रुपये मासिक वसूला जा रहा है, जबकि कुछ ही वर्ष पूर्व यह 35 रुपये मासिक था। इसमें हर वर्ष 10 प्रतिशत तक वृद्धि की जा रही है।
- जिम्नेजियम संचालकों से यह बिल 1210 रुपये मासिक वसूला जा रहा है, जबकि जिम्नेजियम में कूड़े का सवाल ही पैदा नहीं होता।
- शहर में पीजी संचालकों से भी घरेलु उपभोक्तओं के मुकाबले 14 गुणा तथा कई जगह इससे भी अधिक कूड़े का बिल वसूला जा रहा है, जबकि पीजी में रहने वाले मात्र रात को ही आते हैं और उनके कमरों से नाममात्र कूड़ा निकलता है।
- शिमला शहर का लगभग आधा हिस्सा मर्जड एरिया है, जहां अभी सीवरेज की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन फिर भी लोगों से 30 प्रतिशत सीवरेज सेस वसूला जा रहा है, जोकि इनके साथ बड़ा अन्याय है।
- शहर में पानी के चार-चार माह बाद हजारों रुपये के बिल इकट्ठे दिए जा रहे हैं, जिस कारण उपभोक्ताओं को भारी परेशानी से जूझना पड़ता है। यही नहीं अंतिम तारीख के बाद बिल जमा कराने पर उस पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लगा दिया जाता है, जो बिजली बोर्ड के बिलों के मुकाबले 10 गुणा अधिक है।
- शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लोग पानी के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर हैं, लेकिन फिर भी उनसे नियमित रूप से पानी के बिल वसूले जा रहे हैं, जोकि न्याय संगत नहीं है।
सभा के अध्यक्ष ने मांग की है कि शहर में बिजली, पानी और सीवरेज के बिलों को तुरंत तर्कसंगत बनाया जाए। नागरिकों से बिलों के नाम पर मनमानी लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी।