शिमला। शिमला नागरिक सभा ने प्रदेश सरकार और नगर निगम प्रशासन से मांग की है कि कोरोना आपदा के चलते शहर में कूड़े के बिल माफ कर लोगों को राहत प्रदान की जाए। सभा का एक प्रतिनिधिमंडल इस संदर्भ में आज नगर निगम शिमला के महापौर व उप महापौर से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। महापौर ने शिष्टमंडल को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर आगामी जनरल हाउस में चर्चा कर जनता को राहत दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस संदर्भ में प्रदेश सरकार को भी एक प्रस्ताव भेजा जाएगा।
प्रतिनिधिमंडल में नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, पूर्व महापौर संजय चौहान, फालमा चौहान, बालक राम, रामप्रकाश, अनिल कुमार, संजीव कुमार, पूजा, रूपा आदि शामिल रहे।
अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने यह जानकारी देते हुए एक बयान में कहा कि मार्च से अगस्त के छः महीनों में कोरोना महामारी के कारण शिमला शहर के 70 प्रतिशत लोगों का रोज़गार पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से चला गया है, लेकिन प्रदेश सरकार और निगम ने जनता को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी।
उन्होंने कहा कि शिमला शहर में होटल एवं रेस्तरां उद्योग पूरी तरह ठप्प हो गया, जिससे इस उद्योग में कार्यरत लगभग पांच हजार मजदूरों की नौकरी चली गयी है। पर्यटन का कार्य बिल्कुल ठप्प हो गया है, जिससे शहर में हज़ारों टैक्सी चालकों, कुलियों, गाइडों, टूअर एंड ट्रैवल संचालकों आदि का रोज़गार खत्म हो गया है। इस से शिमला में अन्य कारोबार व व्यापार भी पूरी तरह खत्म हो गया है, क्योंकि शिमला का लगभग चालीस प्रतिशत व्यापार पर्यटन से जुड़ा हुआ है।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि शहर में हज़ारों रेहड़ी, फड़ी, तहबाजारी व छोटे कारोबारी तबाह हो गए हैं। दुकानों में कार्यरत सैकड़ों सेल्जमैन की नौकरी चली गयी है। विभिन्न निजी संस्थानों में कार्यरत मजदूरों व कर्मचारियों की छंटनी हो गयी है। निजी कार्य करने वाले निर्माण मजदूरों का काम पूरी तरह ठप्प हो गया है। फेरी का कार्य करने वाले लोग भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। ऐसी स्थिति में शहर की आधी से ज्यादा आबादी को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है।
सभा के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसी विकट परिस्थिति में प्रदेश सरकार व नगर निगम से जनता को आर्थिक मदद की जरूरत व उम्मीद थी, परन्तु इन्होंने जनता से किनारा कर लिया है। जनता को कूड़े के हज़ारों रुपये के बिल थमा दिए गए हैं। हर माह जारी होने वाले बिलों को पांच महीने बाद एक साथ जारी किया गया हैस जो उचित नहीं है। ऐसी विकट परिस्थिति में नगर निगम व प्रदेश सरकार को मार्च से अगस्त 2020 के कूड़े के बिल पूरी तरह माफ कर देने चाहिए ताकि जनता को कुछ राहत मिल सके।