नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। कन्हैया के समर्थक छात्रों इस खुशी में जेएनयू से जंतर मंतर तक विजय जुलूस निकाला। कोर्ट ने 29 फ़रवरी को जमानत पर हुई बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जमानत का फैसला देर सायं आने के कारण कन्हैया कुमार तिहाड़ जेल से वीरवार को ही रिहा हो पाएंगे।
कन्हैया को 12 फ़रवरी को दिल्ली पुलिस ने भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। लेकिन अदालत में कोई भी ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाने के कारण दिल्ली पुलिस की खूब किरकिरी हुई।
कन्हैया की वकील रेबेका जॉन ने मीडिया को बताया कि उनके मुवक्किल को छह महीने की अंतरिम ज़मानत मिली है। कन्हैया को छह महीने के बाद फिर से ज़मानत के लिए अपील करनी होगी। ज़मानत के साथ साथ कन्हैया को बांड भी भरना होगा, जो जेएनयू फैकल्टी का कोई सदस्य भरेगा।
रेबेका जॉन ने कहा, “बहुत राहत मिली है। अगर छह महीने तक उनका व्यवहार संतोषजनक रहता है तो उन्हें स्थाई जमानत मिल जाएगी।” कन्हैया की मां ने भी इसे राहत भरा फैसला बताया।
कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह ने कहा, “मुझे संविधान और न्यायालय पर पूरा भरोसा है और जो भी होगा अच्छा ही होगा। यह लड़का कहीं से भी ग़लत नहीं है। संघ और बीजेपी वालों ने साजिश रच कर इसके कैरियर को ख़राब करने की कोशिश की है। क्योंकि कन्हैया वामपंथी विचारधारा का है, ग़रीब है और बिहार से आता है। इसीलिए उसे तबाह करने के लिए साजिश रची गई।”
कन्हैया के भाई प्रिंस ने कहा, “पिछले 10-15 दिन सिर्फ हमारे परिवार और कन्हैया के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश और जेएनयू के लिए कष्टकारक था। मुझे शुरू से ही क़ानूनी प्रक्रिया पर भरोसा था और आज वो भरोसा और मजबूत हुआ है।”