चंबा। पूर्व शिक्षा मंत्री एवं डलहौजी से कांग्रेस विधायक आशा कुमारी को भूमि फर्जीवाड़े के एक मामले में चंबा की विशेष अदालत ने एक वर्ष कैद की सजा सुनाई है। इसमें चार अन्य अभियुक्तों को तीन-तीन वर्ष और दो को एक-एक वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। आशा कुमारी पर आरोप था कि उन्होंने और उनके पति (अब स्वर्गीय) ब्रिजेंद्र सिंह ने राजस्व विभाग के कुछ कमिर्यों के साथ मिलीभगत कर डल्हौजी के जंदरीघाट में 67-3 बीघा सरकारी भूमि को अपने नाम करा लिया।
विशेष न्यायाधीश चंबा पदम सिंह ने शुक्रवार को यह सजा सुनाई। सरकार की तरफ से मामले की पैरवी विशेष न्यायवादी सतीश ठाकुर तथा जवाहर शर्मा ने की। हालांकि आशा कुमारी को मौके पर ही जमानत भी मिल गई।
इस बहुचर्चित भूमि फर्जीवाड़े की शिकायत वर्ष 1998 में डलहौजी के पूर्व पार्षद कुलदीप कुमार ने की थी। सतर्कता विभाग में मामला वर्ष 2001 में दर्ज हुआ। सतर्कता विभाग ने ही कोर्ट में चालान पेश किया था। इसमें भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 467, 468, 471, 218ए, 120 बी तथा प्रीवेंशन आफ क्रप्शन एक्ट 1988 लगाई गई थीं। मामले में 13 अभियुक्त थे, जिनमें से 6 की मौत हो चुकी है। सजा सुनाने तक 7 अभियुक्त ही शेष बचे थे।
चंबा के जिला न्यायवादी एसएस पठानिया ने बताया कि मामले की जांच सतर्कता विभाग ने की थी। इसके बाद केस सेशन कोर्ट चंबा में सुनवाई के लिए लगा। आरोप था कि आशा कुमारी ने सरकार की लैंड सीलिंग एक्ट के तहत निहित इस जमीन को जाली कागजात बनाकर अपने नाम कराया। इसमें 4 राजस्व कर्मी भी शामिल रहे, जिन्होंने विधायक आशा कुमारी सहित दो अन्य लोगों को गलत ढंग से फायदा पहुंचाया। विधायक आशा कुमारी पर पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप था।
तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीडी गोयल ने जनवरी 2005 को सारे पक्षों को सुनने के बाद आशा कुमारी, उनके दिवंगत पति बिजेंद्र सिंह सहित 13 लोगों को दोषी घोषित कर उनके खिलाफ आरोप सुना दिए थे। इस मामले में आशा कुमारी व अन्य सुप्रीमकोर्ट भी गए, लेकिन राहत नहीं मिली। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसे आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी का मामला माना तथा इसे चंबा की विशेष अदालत में ही चलाने के आदेश दिए थे।
अदालत के इस फैसले से आशा कुमारी की दिक्कतें बढ़ गई हैं। प्रदेश की विधायक होने के अलावा उनके पास आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव का कार्यभार भी है। इसी केस के कारण पिछली बार वीरभद्र सिंह सरकार में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा था। इस बार भी इसी केस के कारण वरिष्ठ होने के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी। अब कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव का दायित्व भी उनसे छिन सकता है।