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नैनीताल (हल्द्वानी)। कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में कालोनाइजरों की मनमानी और अव्यवस्थित निर्माण को रोकने के प्रति प्रदेश सरकार कतई गंभीर नहीं है। शहर में निर्माण की व्यवस्था देखने के लिए स्थापित नियत प्राधिकारी कार्यालय मात्र तीन कर्मचारियों के सहारे चल रहा है। परिणामस्वरूप शहर में अव्यवस्थित निर्माण बेरोकटोक चल रहा है और कालोनाइजर चांदी कूट रहे हैं।
हल्द्वानी में चल रहे नियत प्राधिकारी कार्यालय का ढांचा 1982 का है, जिसमें मात्र एक जेई, एक बाबू और एक चपरासी तैनात हैं। शहर के साथ सटे 56 गांव भी इसी कार्यालय के अधीन आते हैं, जिस कारण कामकाज का बोझ कई गुणा अधिक बढ़ चुका है। शहर में प्रतिमाह औसतन 150 से अधिक मानचित्र स्वीकृत होते हैं, लेकिन ये निर्माण मानचित्र के अनुरूप हो रहे हैं या नहीं, यह देखना सीमित स्टाफ के कारण संभव ही नहीं रह गया है।
सरकार ने इसी साल प्रदेश के सभी नगर निगमों में विकास प्राधिकरण गठित करने का बिल पास किया है, जिसमें हल्द्वानी भी शामिल है। लेकिन इससे संबंधित फाइल शासन में कहीं दब गई है। नियत प्राधिकारी कार्यालय के जेई आरएल भारती बताते हैं कि नगर निगम के अलावा उससे सटे 56 गांव भी उनके दायरे में आते हैं। यहां बनने वाले आवासीय और व्यावसायिक भवनों के निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत कराना अनिवार्य है, जिस कारण काम का बोझ बहुत अधिक बढ़ गया है। उनके अनुसार काम के दबाव को देखते हुए इस समय कार्यालय में एक एई और पांच जेई के पद जरूरी हो गए हैं।
शहरवासियों का कहना है कि यहां विकास प्राधिकरण का गठन होने पर ही निर्माण कार्यों की निगरानी हो सकेगी, क्योंकि शहर में हो रहे निर्माण में मानकों का कतई पालन नहीं हो रहा है और कालोनाइजर भी मनमाने ढंग से ही काम कर रहे हैं।