खुदा ने आज तक उस कौम की हालत नहीं बदली।
ना हो जिसको ख्याल खुद अपनी हालत बदलने का।।
मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े त्यौहार ईद के अवसर पर इस बार दो बड़े परिवर्तन देखने को मिले। एक सुखद और एक दुखद। बात पहले दुखद घटनाओं की करते हैं, जिसके तहत बांग्लादेश में फिर से आतंकी हमला हुआ और इस बार नमाजियों को निशाना बनाया गया। ढाका से करीब अस्सी किलोमीटर दूर किशोरगंज की जामा मस्जिद में उस समय बम फेंके गए जब अंदर हजारों नमाजियों की भीड़ थी। अभी तक सैंकड़ों के घायल होने के साथ- साथ आधा दर्जन के मरे जाने की भी खबर है। एक सप्ताह पहले ही ढाका में एक रेस्टोरेंट पर बड़ा चरमपंथी हमला हुआ था। ये हमला बताता है कि किस कद्र अब मुस्लिम चरमपंथी मुस्लिम समुदाय की ही जान लेने पर उतारू हो गए हैं। उधर, ईद के ही मौके पर कश्मीर में भी सियासी हिंसा भड़की, जिसमें चरमपंथियों के असर में डूबे लोगों ने भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर पत्थरबाजी की और पाकिस्तानी झंडे लहराए।
हमेशा की तरह यहां इस बार भी सियासत हावी रही और जिन उपद्रवियों को पकड़ा भी गया था, उनके खिलाफ बिना किसी तरह का मामला बनाये उन्हें छोड़ दिया गया। ये निश्चित ही चौंकाने वाला है और वहां महबूबा सरकार के साथ सत्ता सांझा कर रही बीजेपी को इसका जवाब देना शायद मुश्किल हो जायेगा। मुश्किल तो अब मुस्लिम समुदाय के उस वर्ग को भी हो रही है जो कुछ चरमपंथी मुल्लाओं के उत्तेजक भाषणों में बहकर चरमपंथ की राह निकल रहा था। उसे अब मालूम हो गया है कि चरमपंथ वह भस्मासुर है जो एक दिन उनको भी भस्म करने की चेष्टा करेगा। और ये चेष्टा ढाका, इस्तांबुल और बग़दाद हमलों के बाद साफ़ हो चुकी है।
लेकिन इसके अतिरिक्त इस बार हिंदुस्तान में ईद के मौके पर बड़ी दिलकश और सुकून भरी तस्वीरें तस्वीर भी शाया हुईं। ये तस्वीरें लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह से आयीं जहां पहली बार महिलाओं ने भी नमाज़ अता की। अब तक देश में मस्जिदों में महिलाओं को नमाज़ की इज़ाज़त नहीं थी। लेकिन इस बार खुद ऐशबाग ईदगाह के प्रशासन ने रमजान शुरू होते ही इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं। बाकायदा महिलाओं को ईदगाह पहुंचकर नमाज़ पढ़ने का न्योता दिया गया था। उनके लिए विशेष इंतजाम किये गए थे। अलग से महिलाओं के लिए स्वागत द्वार बनाये गए थे और ईदी के तोहफों का भी इंतजाम था। इसी का नतीजा था कि ऐशबाग ईदगाह में करीब पांच हज़ार महिलाओं ने हजारों पुरुषों के साथ नमाज़ अता कि और ईद मनाई।
लम्बे अरसे से मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बहस चल रही है। मुंबई की एक संस्था ने इस बाबत अदालत में केस तक कर रखा है। लेकिन इसी बीच ऐशबाग ईदगाह द्वारा किया गया ये प्रयास न सिर्फ सराहनीय है, बल्कि मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक रसूख और स्वीकार्यता में बदलाव की एक नयी इबारत भी लिखता है।
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