टिहरी गढ़वाल (चंबा)। विख्यात स्वतंत्रता सेनानी शहीद श्रीदेव सुमन को नई पीढ़ी के सत्तालोलुप नेताओं ने अब शायद भुला दिया है। अन्यथा यहां चंबा क्षेत्र में स्थापित शहीद की प्रतिमा पिछले छह माह से इस तरह मलबे में दबी पड़ी न होती। पूरा शहीद स्मारक ही मलबे का ढेर बना हुआ है, लेकिन सरकार व प्रशासन इसकी कोई सुध नहीं ले रहे।
महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित श्रीदेव सुमन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान टिहरी रियासत को आजाद कराने के लिए गढ़वाल के राजा के खिलाफ लंबे समय तक अहिंसक आंदोलन चलाया था। अंग्रेजों ने 30 दिसंबर 1944 को उन्हें विद्रोही घोषित कर गिरफ्तार कर लिया। जेल में उन्हें असह्य यातनाएं दी गईं। इसके विरोध में जेल में ही उन्होंने गांधीवादी तरीके से आमरण अनशन किया, लेकिन क्रूर अंग्रेजों ने उनकी कोई परवाह नहीं की और अंततः अनशन के 84वें दिन 25 जुलाई 1944 को उनका निधन हो गया।
उत्तराखंड में अनेक संस्थानों और विश्वविद्यालय के नाम शहीद के नाम पर रखे गए हैं। दिल्ली में स्थित गढ़वाल भवन में भी हर वर्ष उनकी याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लेकिन अब लगता है राज्य सरकार ने श्रीदेव सुमन की शहादत को भुला ही दिया है।
स्थानीय लोगों की मांग पर नगर पालिका चंबा ने शहीद श्रीदेव सुमन का स्मारक बनाया था। वहां उनकी प्रतिमा की स्थापना के अतिरिक्त लोगों के बैठने के लिए भी व्यवस्था की गई थी। लेकिन गत जुलाई माह में भारी वर्षा के कारण स्मारक क्षतिग्रस्त हो गया और शहीद की प्रतिमा मलबे में दब गई। स्थानीय लोगों के आग्रह के बावजूद सरकार और प्रशासन ने आज तक इसकी कोई सुध नहीं ली।
व्यापार मण्डल चम्बा के अध्यक्ष संजय बहुगुणा कहते हैं- “शहीद स्मारक क्षतिग्रस्त होने से बाईपास चौराहा वीरान हो गया है। इस मामले में सरकारी लापरवाही शहीद का घोर अपमान है। सरकार को तुरंत स्मारक का पुनर्निर्माण करना चाहिए।”
नगर पालिका चंबा के कार्यकारी अधिकारी एलएम दास से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था- “बजट के अभाव में क्षतिग्रस्त स्मारक का पुनर्निर्माण नहीं किया जा सका है। बजट की व्यवस्था होते ही पुनर्निर्माण कर दिया जाएगा।”