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हिमाचल का पहला ई- टॉयलेट शिमला में

शिमला। ई- टॉयलेट…! हिमाचल का पहला ई- टॉयलेट। शिमला में बन कर तैयार हो रहा है। अत्याधुनिक सुविधाओं और जीपीआरएस से लैस। इस टॉयलेट के इस्तेमाल के लिए लिए आपको मात्र पांच रूपये खर्च करने होंगे। ई-राम साईंटिफिक कंपनी,

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केरल द्वारा इस टॉयलेट का निर्माण किया जा रहा है। छोटा शिमला-संजौली मुख्य मार्ग पर सचिवालय गेट के समीप। यह ई- टॉयलेट बस कुछ ही दिनों में पब्लिक के इस्तेमाल के लिए तैयार होगा।

कैसे होगा इस्तेमालः इस टॉयलेट का इस्तेमाल अत्यंत आसान है। आपको टॉयलेट के बाहर लगे बॉक्स में पांच रुपये का सिक्का डालना होगा। सिक्का डालते ही टॉयलेट का गेट खुलेगा। अंदर प्रवेश होते ही आपको ऑटोमेटिक वायस से लाईट जलाने के लिए कहा जाएगा। टॉयलेट इस्तेमाल करने के तुरंत बाद स्वतः फ्लश हो जाएगा।

हयूमन वेस्ट कैसे समाप्त होगाः ई- टॉयलेट की खासियत है। इसका हयूमन वेस्ट अर्थात् मल स्वतः समाप्त हो जाएगा। इसके लिए पुरानी विधि अपनाई गई है। मल को समाप्त करने के लिए बैक्टीरिया कीड़ों को मल स्थल पर डाला जाएगा। ये कीड़े मल को खाकर समाप्त कर देंगे। मल के साथ घुलने वाला जल इवेपोरेट यानि वाष्प बन कर उड़ जाएगा। गैस भी स्वतः ही उड़ जाएगी।

ई- टॉयलेट की कीमतः यद्यपि ई- टॉयलेट की कीमत मेटीरियल के हिसाब से दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक है। किन्तु शिमला में लगाए जा रहे ई टॉयलेट की कीमत तीन लाख रुपये के आसपास है। इसकी कीमत एक लाख रुपये तक लाने की तकनीक पर कार्य चल रहा है। अभी तक कंपनी करीब 500 ई- टॉयलेट स्थापित करने में कामयाब हुई है।

शनिवार सुबह मैं भी मित्रों के साथ ई- टॉयलेट देखने पहुंच गया। पंकज कौशिक कहते हैं- ‘‘हमें ज्ञात ही नहीं था कि यहां पर ई- टॉयलेट बन रहा है। हम रोज यहां से गुजरते थे। पहले सोचा शायद रैन शैल्टर की मुरम्मत हो रही होगी। कई दूसरे विचार भी मन में आए। पर ई- टॉयलेट के बारे में कभी सोचा ही नहीं।

राजेश शांडिल कहते हैं- ‘‘ई- टॉयलेट हमारी पुरानी तकनीक पर आधारित है। पहले गांवों में भी इसी तकनीक का प्रयोग किया जाता था। मल का निस्तारण स्वतः कीड़ों द्वारा हो जाता था। किन्तु धीरे-धीरे सरकार ने सेप्टिक टेंक वाले शौचालयों को प्रोत्साहित किया। आज स्थिति यह है कि पीने के लिए पानी नहीं है, पर शौचालयेां के लिए पानी जरूर चाहिए। (लेखक, आनंद राज, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

एचएनपी सर्विस

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