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प्रियंका का बंगला ही निशाने पर क्यों?

मनाली में अटल बिहारी वाजपयी का आलीशान घर है। वहीं पर कांग्रेसी दिग्गज कमलनाथ का विशाल रिजॉर्ट भी है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला भी कुल्लू और मनाली में फार्म हाउस और होटल के मालिक हैं। रामायण धारावाहिक के निर्माता रामानंद सागर का भी बीच मनाली में रिजॉर्ट है। सनी देओल का मनाली में फार्म हाउस है। पंजाब के बादल परिवार के नाम शिमला में ज़मीन है। …यह सूची बहुत लंबी है और इसके लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों जिम्मेदार हैं।

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प्रियंका गांधी का बंगला एक बार फिर चर्चा में है। शिमला के भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज ने उनको ज़मीन दिए जाने

लेखक, संजीव शर्मा, दैनिक न्याय सेतु के संपादक हैं।

की अनुमति रद्द करने को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को खत लिखा है। जाहिरा तौर पर इसमें इस बात का जिक्र नहीं होगा कि मंजूरी देने में भाजपा की सरकार भी बराबर की हिस्सेदार रही है। लेकिन चलो इस बहाने भारद्वाज ने एक ऐसा मुद्दा तो छेड़ दिया है जो बरसों से इस राज्य में बहस- मुवाहिसों में शामिल रहा है।

मसला बाहरी लोगों को ज़मीन दिए जाने का है। डाक्टर यशवंत सिंह परमार जब मुख्यमंत्री बने थे तो उसी समय उन्होंने धारा 118 के रूप में हिमाचल को बचाए रखने के लिए बाहरी लोगों के यहां ज़मीन खरीदे जाने को प्रतिबंधित कर दिया था। कालान्तर में ये नियम सुविधानुसार दायें-बाएं होकर समरथ लोगों को हिमाचल आने का रास्ता देता रहा। इस लिहाज़ से प्रियंका गांधी एकमात्र अपवाद नहीं हैं, जहां नियमों को तोड़ मरोड़कर किसी को हिमाचल में ज़मीन खरीदने की अनुमति मिली हो। यहां ऐसे अनेकों उदाहरण हैं।

भाजपा आजकल राज्य की सत्ता पाने के लिए जिस जगह मंथन कर रही है, वहीं मनाली में अटल बिहारी वाजपयी का आलीशान घर है। मनाली में ही कांग्रेस दिग्गज कमलनाथ का विशाल भूखंड पर फैला रिजॉर्ट भी है। कमलनाथ जब पर्यावरण मंत्री थे तब उन्होंने इसके लिए ब्यास नदी का प्रवाह तक मोड़ दिया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला भी कुल्लू और मनाली में फार्म हाउस और होटल के मालिक हैं। रामायण धारावाहिक के निर्माता रामानंद सागर का भी बीच मनाली में रिजोर्ट है। सनी देओल का मनाली में फार्म हाउस है। पंजाब के बादल परिवार के नाम भी शिमला में ज़मीन है।

इसके अतिरिक्त पंजाब पुलिस और हाकी इंडिया के प्रमुख रहे केपीएस गिल के पास रामशहर में बड़ा फार्म हाउस है। केन्द्रीय मंत्री कर्ण सिंह के पास कांगड़ा में ज़मीन है। सुखदेव सिंह ढींडसा की शिमला में संपत्ति है। हाल ही में राज्यसभा को लेकर चर्चा में रहे आरके आनंद का भी शिमला में फार्महाउस है। वर्तमान केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह का कसौली में फार्महाउस है, पंजाब चयन बोर्ड के पीपीएस सिद्धू का भी कसौली में मकान है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा की हिमाचल में संपत्ति है। आम आदमी पार्टी के प्रवर्तक रहे प्रशांत भूषण की पालमपुर में संपत्ति है।

इसी प्रकार डलहौजी और धर्मशाला में भी कई बाहरी नामी हस्तियां ज़मीन लेकर आराम कर रही हैं और ये तो वो सूची है जो जग जाहिर है और वास्तविक नामों से है। वर्ना न जाने किस किस की बेनामी संपत्तियां भी यहां है। बिना शक वीवीआईपी लोगों को किसी न किसी बहाने से ज़मीन दी गयी है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि फिर धारा 118 क्या सिर्फ सियासी शोरगुल और चुनावी मुद्दे के लिए ही है.? इसी सरकार ने विधानसभा में बताया था कि तीन साल में 526 लोगों को 118 के तहत ज़मीन दी गयी है। और जब से हिमाचल बना है तब से लेकर अब तक 15 हज़ार से अधिक बाहरी परिवारों को यहां ज़मीन दी गयी है। बेशक हुक्मरानों के पास किसी मामले में शिक्षा, किसी मामले में उद्योगों के प्रसार, तो किसी मामले में अति महत्वपूर्ण अतिथियों के नाम का तर्क होगा। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है कि क्या बड़े लोग पैसे के बल पर हिमाचल की ज़मीन नहीं हड़प रहे? क्या ये अतिथि अब प्रदेश के स्वामी नहीं बन बैठे हैं..? और ये स्थितियां मूल हिमाचलियों को कहां ले जाकर खड़ा करेंगी? क्या किसी ने इसकी परिकल्पना की है?..मंथन कीजिये…

एचएनपी सर्विस

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