शिमला। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की आठ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में भी जांच चल रही है। वीरभद्र सिंह के खिलाफ 6.1 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति का मामला उस समय का है जब वे केंद्रीय इस्पात मंत्री थे। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को रखी गई है।
वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई की ओर सितंबर में दर्ज एक आपराधिक मामले को संज्ञान में लेते हुए ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगाए हैं। ईडी की जांच में पता लगाया जाएगा कि वीरभद्र और उनके परिवार के सदस्यों ने 2009 और 2011 के बीच आखिर कैसे ज्ञात स्रोतों से अधिक 6.1 करोड़ रुपये जमा किए। उस दौरान वीरभद्र सिंह केंद्रीय इस्पात मंत्री थे।
विगत में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान वीरभद्र से जवाब तलब किया था। याचिका में कहा गया था कि हिमाचल हाईकोर्ट के एक आदेश की वजह से सीबीआई वीरभद्र से पूछताछ नहीं कर पा रही है और न ही उन्हें गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल कर पा रही है।
सीबीआई इस मामले में वीरभद्र सिंह के अतिरिक्त उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, बीमा एजेंट आनंद चौहान और चौहान के भाई सीएल चौहान के खिलाफ भी पहले ही केस दर्ज कर चुकी है। सीबीआई को शक है कि 2009-11 के दौरान वीरभद्र ने अपने और अपने परिवार के नाम जीवन बीमा पॉलिसियों में एजेंट चौहान के जरिए 6.1 करोड़ रुपये निवेश किया था और इस धनराशि को गलत तरीके से कृषि से आमदनी बताया था।
जांच एजेंसी का आरोप है कि वीरभद्र ने 2012 में नया आयकर रिटर्न दाखिल कर इस धनराशि को कृषि आय के रूप में वैध बनाने की कोशिश की थी। मामले की पड़ताल के लिए हाल ही में ईडी ने बागवानी विशेषज्ञों को साथ लेकर वीरभद्र सिंह के बागीचों का भी निरीक्षण किया था ताकि यह पता किया जा सके कि क्या उनके बागीचे से एक वर्ष में इतनी आय हुई होगी? सूत्रों के अनुसार जांच में वीरभद्र सिंह के कृषि आय से संबंधित आय के दावों को गलत पाया गया है।