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नाहन। सिरमौर जिला में उद्योग लगाने के लिए दी गई भूमि का निर्धारित अवधि में उपयोग नहीं होने पर उद्योगपतियों से यह भूमि वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिला प्रशासन ने अभी तक ऐसे चार मामलों में कुल 26.7 बीघा भूमि सरकार के पक्ष में निहित करने के आदेश पारित किए हैं। इस जमीन की कीमत 1. 66 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह जमीन जिस कार्य के लिए विभिन्न फर्मो को दी गई थी, वे निर्धारित अवधि में इसमें कार्य करने में विफल रही हैं।
उपायुक्त एवं जिला समाहर्ता सिरमौर रितेश चौहान द्वारा पारित आदेशों के अनुसार पहला मुकदमा हिमाचल प्रदेश सरकार बनाम मैसर्ज स्काई विजन जोहड़ों का था, जिसमें तहसीलदार नाहन की 21 जनवरी को दी गई रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई अमल में लाई गई। इस फर्म ने 16 सितंबर, 2009 को जिस कार्य के लिए मौजा जोहड़ों में एक बीघा चार बिस्वा भूमि खरीदने के लिए सरकार से स्वीकृति ली थी, उसका उपयोग निर्धारित अवधि के भीतर नहीं हुया। उपायुक्त ने इस जमीन को सरकार के पक्ष में निहित करने का आदेश पारित कर दिया।
इसी प्रकार का एक मामला हिमाचल प्रदेश सरकार बनाम नेक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का भी था। इसमें भी नायब तहसीलदार नौहरा की रिपोर्ट के आधार पर जिला समाहर्ता ने 12.3 बीधा जमीन सरकार के पक्ष में निहित कर दी। इस फर्म ने भी नौहरा मौजा में 16 मार्च, 2009 को ही उद्योग लगाने के लिए सरकार से स्वीकृति ली थी। इस फर्म को आठ दिसंबर, 2011 को कार्य शुरू करने के लिए अवधि में 90 दिन की छूट भी गई थी, लेकिन फिर भी भूमि का उपयोग नहीं किया गया। अंततः इसे सरकार के पक्ष में निहित कर दिया गया।
एक अन्य हिमाचल प्रदेश सरकार बनाम मैसर्ज सुपरमैक्स मशीनरी कार्पोरेशन ओगली का भी मामला है। इसमें सरकार के पक्ष में तीन बीधा भूमि निहित करने के आदेश जारी किए गए हैं। हिमाचल सरकार बनाम मैसर्ज त्रयंबकम इंपैक्ट्स प्रा. लि. ऑन खादरी का भी एक मामला है, जिसमें दस बीघा भूमि सरकार के पक्ष में निहित करने के आदेश पारित किए गए हैं।