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सरकारी विज्ञापन- अंधा बांटे रेवड़ी अप-अपनों को दे

देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार की नाक के नीचे कुछ भी संभव है। यहां थानेदार को ही चोरी करने का पूरा मौका दे दिया जाता है। राज्य में आई भीषण आपदा के

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बाद से ही राज्य का सूचना एवं जनसंपर्क विभाग सुर्खियां बटोरता रहा है। आपदा प्रभावित लोगों से प्रभावी पुनर्वास के बजाय मुख्यमंत्री इस विभाग का उपयोग पूरे देश के मीडिया संस्थानों को विज्ञापन बांटकर अपनी छवि सुधारने का प्रयास करते रहे हैं। हाल ही में खुलासा हुआ कि यह चर्चित विभाग मुख्यमंत्री के इशारे पर 90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि विज्ञापनों और न्यूज डायरी के नाम पर बांट चुका है, वह भी ‘अंधा बांटे रेवड़ी अप-अपनों को दे’ कहावत को चरितार्थ करते हुए।

सूचना विभाग में एक और कारनामा इन दिनों सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री के अधीन इस विभाग में वित्त विभाग के जिस व्यक्ति को वित्तीय गड़बड़ियों को पकड़ने की जिम्मेदारी दी गयी थी, उसी व्यक्ति को बिल पास करने की भी अनुमति दे दी गयी  है। यानि वह खुद ही गड़बड़ी करेगा और बाद में खुद ही वित्त अधिकारी बनकर उस गड़बड़ी पर मुलम्मा लगाएगा। इतना ही नहीं इस अधिकारी को विभाग का आहरण -वितरण (डीडीओ) भी बना दिया गया है। अब यह बात आम आदमी के समझ से परे है कि जो व्यक्ति विभागीय बिल पास करेगा, वह वित्तीय गड़बड़ियों पर कैसे अंकुश लगा सकता है। आम तौर पर विभागीय मुखिया के पास ही बिल पास करने की जिम्मेदारी होती है। वह काम के बोझ को देखते हुए अपने ही विभाग के किसी जिम्मेदार अधिकारी को यह अधिकार देता है, न कि अपने विभाग से इतर किसी अन्य विभाग के अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है।

यहां अजब तमाशा यह हुआ कि महानिदेशक ने विभागीय अधिकारियों को दरकिनार कर किसी दूसरे विभाग के अधिकारी को वह जिम्मा दे डाला, वह भी उसे जिसे सरकार ने उस विभाग की वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिये नियुक्त कर रखा है। इतना ही नहीं वित्त विभाग के इस  अधिकारी को 2 – 2  लाख रूपये तक के बिलों को पास करने का अधिकार दे दिया गया है ।

उल्लेखनीय है कि सूचना विभाग में तैनात वित्त विभाग के इस अधिकारी के पास सूचना विभाग के अतिरिक्त नगर निगम देहरादून के वित्त अधिकारी की भी जिम्मेदारी है। नियमतः वित्त अधिकारी का काम विभाग में आर्थिक घोटालों का पता लगाकर उन पर प्रभावी कार्रवाई करना होता है, मगर सूचना एवं जन संपर्क विभाग में बैठे उच्चाधिकारियों ने उल्टी गंगा ही बहा दी। यही नहीं पूरे प्रदेश के साथ देश भर से राज्य सूचना विभाग से होने वाले पत्राचार को जांचने का ठेका भी इसी वित्त अधिकारी को दिया गया है । अब शासन में बैठे उच्चाधिकारियों को कौन समझाए कि पत्राचार में मीडिया से संबंधित विभिन्न मसलों को विभाग के सम्मुख रखा जाता है और उन सब चीजों को समझने के लिए विभाग के अधिकारियों से बेहतर कोई  नहीं होता। वित्त विभाग का अधिकारी मीडिया से संबंधित मामलों पर कितना प्रभावी निर्णय ले सकता है, यह शासन में बैठे उच्चाधिकारी ही बेहतर जानते होंगे।

यहाँ  हुए घोटालों का सबसे रोचक पहलू तो यह भी है कि प्रदेश सरकार ने अब तक लगभग 90  करोड़ के विज्ञापन देश भर की मीडिया को इसलिए दे डाले ताकि आपदा के बाद मुख्यमंत्री की दागदार हो रही छवि को देश के सामने साफ़ सुथरी बनाकर पेश की जाये। इस मामले में प्रदेश के सूचना विभाग में तैनात वित्त विभाग के इस अधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी का किस तरह से निर्वहन किया इसकी एक बानगी यह है कि जहाँ इस विभाग ने राज्य से प्रकाशित होने  वाले पत्रों को डीएवीपी से निर्धारित अथवा सूचना निदेशालय से निर्धारित न्यूनतम दरों पर विज्ञापन जारी किये, वहीँ देश अथवा राज्य से प्रसारित होने वाले चैनलों को विज्ञापन देने में न तो न्यूनतम दरों का ही ध्यान रखा गया और न डीएवीपी से निर्धारित दरों का। प्रदेश में मात्र एक या आधा घंटे का स्लॉट लेकर चैनल चलाने वालों को राज्य में स्थापित 24 घंटे प्रसारित होने वाले चैनलों से दो-तीन गुना अधिक बड़ा पैकेज दे दिया गया। इतना ही नहीं राज्य में मात्र एकआध स्थानों पर ही दिखाई देने वाले चैनलों पर भी विभाग ने जमकर मेहरबानी की, वो भी व्यावसायिक दरों पर। ऐसे में सूचना विभाग में वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए वित्त विभाग के इस अधिकारी की जिम्मेदारी पर ही सवालिया निशान लग जाता है, जिसने सरकारी खजाने को मुक्त हाथों से लुटने दिया। सूत्रों के अनुसार इस गड़बड़झाले की शिकायत कांग्रेस के अनेक आला नेताओं ने मुख्यमंत्री से भी की है, लेकिन वहां से अभी तक कोई हरकत नहीं हुई।

-भडास4मीडिया.कॉम से साभार

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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