Advertising

कूड़ा बनती लघु जल विद्युत परियोजनाएं

उत्तरकाशी। उत्तराखंड जल विद्युत निगम की लापरवाही के कारण पिछले एक वर्ष से मल्ला के भेलाटिपरी में स्थित

Advertisement
पिलंगगाड लघु जल विद्युत परियोजना की टरबाइनें नहीं घूम रही हैं। पिलंगगाड में पर्याप्त जल के बावजूद बिजली का उत्पादन ठप पड़ा है, जबकि एक वर्ष पूर्व तक यह परियोजना 2250 किलोवॉट तक बिजली पैदा कर रही थी। शुरुआती दिनों में इस विद्युत परियोजना को निगम ने मॉडल परियोजना के तौर पर प्रचारित किया था, लेकिन अब यह बंद पड़ी परियोजनाओं का मॉडल बन गई है। उधर, असीगंगा नदी पर बन रही तीन छोटी जल विद्युत परियोजनाएं भी बार- बार की बाढ़ और निगम की उपेक्षा के कारण कूड़े के ढेर में बदलती जा रही हैं।

बीते वर्ष जून माह में भागीरथी में आई बाढ़ के कारण इस परियोजना के आउटलेट पर मलबा जमा हो गया था, जिस कारण उत्पादन बंद कर देना पड़ा था। लेकिन उसके बाद निगम ने मलबा हटाने के इस मामूली कार्य की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया और अब परियोजना की टरबाइनें तथा अन्य मशीनरी जंक खा रही हैं। निगम ने परियोजना के आउटलेट हेड को भागीरथी तट से ऊंचा करने का निर्णय लिया था, लेकिन अभी तक इसका काम भी शुरू नहीं हो सका है। जानकारों के अनुसार इस साल के अंत तक भी इस परियोजना में विद्युत उत्पादन की कोई संभावना नहीं है।

यूजीवीएनएल के प्रबंध निदेशक जीपी पटेल से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि परियोजना के आउटलेट हेड को बदलने का डिजाइन आइआइटी रुड़की में तैयार हो रहा है। आउटलेट हेड बदलने के बाद ही विद्युत उत्पादन शुरू हो सकेगा।

विद्युत निगम के ड्रीम प्रोजेक्ट का भविष्य अधर में

उत्तरकाशी। असीगंगा नदी पर बन रही तीन छोटी जल विद्युत परियोजनाओं का भविष्य अधर में लटक गया है। कभी जल विद्युत निगम के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ये परियोजनाएं अब हाशिये पर डाल दी गई हैं। दो वर्ष पूर्व असीगंगा घाटी में कल्दी गाड, असीगंगा प्रथम व असीगंगा द्वितीय चरण परियोजनाओं का काम चल रहा था। इनमें से कल्दीगाड परियोजना की बैराज साइट पर काम शुरू हो चुका था, जबकि असीगंगा प्रथम चरण परियोजना का नब्बे फीसद काम पूरा हो गया था। इस परियोजना में बैराज, पॉवर चैनल पेनस्टॉक चेंबर व पॉवर हाउस तैयार हो गए थे, जबकि द्वितीय चरण परियोजना में बैराज साइट का काम पूरा होने के साथ पावर हाउस का काम भी शुरू हो चुका था, लेकिन तीन अगस्त 2012 को असीगंगा में आई बाढ़ से कल्दी गाड परियोजना में हुआ कार्य क्षतिग्रस्त कर दिया। असीगंगा प्रथम चरण परियोजना का बैराज पूरी तरह मलबे में दब गया और पावर हाउस को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा। यहां करोड़ों रुपये की मशीनें भी मलबे में दब गई थीं। जल विद्युत निगम ने दोबारा असीगंगा प्रथम व द्वितीय चरण में काम शुरू करवा दिया था, लेकिन 17 जून 2013 में आई बाढ़ ने फिर से निगम की कोशिशों पर पानी फेर दिया।

उसके बाद निगम ने असीगंगा घाटी की परियोजनाओं की ओर से पीठ ही फेर दी। अब स्थिति यह है कि परियोजनाओं की साइट पर पड़ी मशीनें जंक खा रही हैं। खंडहर हो चुका पावर हाउस, जर्जर हो रही पावर चैनल व बैराज साइट पूरी तरह वीरान हैं।

जल विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता मुकेश वर्मा का इस संबंध में कहना है कि बाढ़ से असीगंगा नदी पर परियोजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है, फिलहाल नदी का रुख सामान्य होने का इंतजार किया जा रहा है, उसके बाद ही सुरक्षित ढंग से काम शुरू किया जा सकेगा।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

5 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

5 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

5 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

7 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

11 months ago
Advertisement